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नो उपसंपज्जा , इच्छा भिक्खोवधायं दलयइ कप्पागं, इच्छा नो दळयह कप्पागं ॥२५॥
दो भिक्खुणो एगयो विहरति नो णं कप्पद अन्नमन्नं उपसंपज्जित्ता णं विह रित्तप, कप्पइ णं अहारायणियाए अन्नमन्न उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए ॥२६॥
दो गणावच्नेयगा एगयो विहरति नो णं कप्पइ अन्नमन्नं उत्रसंपज्जित्ता ण विहरिचए, कप्पड़ णं अहारायणियाए अन्नमन्न उमंपउिजत्ता ण विहरितए ॥२७॥
दो आयरियउवझापा एगयो विहरति नो णं कप्पइ अन्नमन्नं उत्रसंपज्जित्ता पं विहरित्तए, कप्पइ अहारायणियार अन्न मन्नं उपसंपज्जित्ता णं विहरितए ॥२८॥
ववे भिक्खुणो एगयओ विहरनि नो णं कप्पद अन्नमन्नं उत्रसंपज्जित्ता ण विह. रित्तए, कप्पइ अहारायणियाए अन्नमन्न उत्रसंपज्जित्ता गं विहरित्तए ॥२९॥
बहवे गणावच्छेयगा एगयो विहरति नो णं कप्पा अन्नमन्नं उपसंपत्तिा विहरिचए, कपड़ णं अहारायणियाए अन्नमन्नं उवसंपजित्ता णं विहरितए ॥३०॥
बहवे आयरियउवझायो एगयो विहरति मोण कप्पइ अममन्नं उनसंपज्जिया ण विहरिनए, कप्पर णं अहारायणिपाए अन्नमन्नं उनसंपज्जिता गं विहरितर ॥३१॥
वह भिक्खुणो बहवे गणायच्छेयया यहवे आयरियउवमाया पगयो विहरंति नो णं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, कप्पइ अहारायणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जिचा णं विहरिचए ॥३३।।
॥ ववहारे चउत्थो उसो समतो ॥४॥