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________________ वेण्णाओ जे भवे किम्हे, भइँए से उ गंधओ।सओ फासमो चेव, भईए संठाणओऽवि अ॥२२॥ अर्थ-(जे ) जे स्कंधादिक ( वयो ) वर्णे करीने (किण्हे ) काळो ( भवे ) होय, ( से उ) ते (गंधश्रो ) गंध* बडे ( भइए ) भजना करवा लायक के एटले के कृष्णवर्णवाळो कोइक स्कंधादिक सुरभिगंधवाळो पण होय छे अने कोइक दुरभिगंधवाळो पण होय छे. एज प्रमाणे (रसमओ) रसथी, (फासो चेच) स्पशेधी अने (संठाणोऽवि अ) संस्थानथी पण | | (भइए) भजना करवा लायक थे, एटले के तेज कृष्णवर्णवाळो सुरभि के दुरभिगंधवाळो स्कंधादिक कोहक रसवडे तिक्त होय, | कोइक कटुक होय, कोइक कपायलो होय, कोइक खाटो होय अने कोइक मधुर होय. एज रीते ते ज कृष्णवर्णवाळो स्कंधादिक आठमाथी कोइ पण स्पर्शवाळो होय को ए रीते पांग संस्थान की कोई गण संवानवाळो होय, तेथी एक कृष्णवर्णवाळो स्कंधादिक ये गंध, पांच रस, आठ स्पर्श अने पांच संस्थान मळी वीश प्रकारको होय छे. एज रीते बीजा चारे वर्णोना वीश बीश प्रकार गणतां कुल सो भंग वर्णने आश्री थाय छे. हवे गंधने पाश्रीने भंग करीए तो पांच वर्ण, पांच रस, | * आठ स्पर्श अने पांच संस्थान मळी २३ भंग एक सुरमि गंधना थाय, तेटला ज दुरभिगधना थवाथी कुल ४६ थाय छे. एज रीते पांच रसने श्राश्री गणीए तो वे गंध, पांच वर्ण, आठ स्पर्श अने पांच संस्थान मळी वीश थाय अने पांचे रसना मळी कुल सो थाय छे. ए ज रीते स्पर्शने श्राश्री गणीए तो पांच वर्ण, वे गंध, पांच रस अने पांच संस्थान मळी सत्तर थाय भने आठे स्पर्शना मळी १३६ थाय के. ए ज रीते पांच संस्थानना वीश वीश भंग होवाथी तेने आश्री कुल १०० थाय छे. सर्वना भंग एकत्र करीए त्यारे कुल ४८२ थाय छे. या गाथाना अर्थ प्रमाणे ज सर्व नीचेनी गाथामोनो
SR No.090459
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunvarji Anandji Shah
PublisherKunvarji Anandji Shah Bhavnagar
Publication Year
Total Pages809
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_uttaradhyayan
File Size18 MB
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