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नीलासोगसंकासा, चासपिच्छसमप्पभा। वेरुलियनिद्धसंकासा, नीललेसा उ वामओ ॥ ५ ॥
अर्थ (नीललेसा उ) नील लेश्या ( वाममो) वर्णथी (नीलासोगसंकासा ) नील अशोकवृचना जेवी छे, ( चासपिच्छसमप्पभा ) चास पक्षीनी पास जेवी छ, तथा (वेरुलियनिद्धसंकासा ) स्निग्ध वैडूर्य रत्नना जेवी छ अर्थात् E] अति नील छे, ५.
असलीगुप्फसंकासा, कोहलतसलिमा पारेवयगीवनिभा, काउलेसा उ वालो ॥६॥
अर्थ-( काउलेसा उ ) कापोत लेश्या ( वयो ) वर्णथी ( अयसीपुष्फसंकासा ) अळसी नामना धान्यना पुष्प जेवी छे, ( कोइलच्छदसनिमा) कोकिलच्छद एटले कोयल पक्षीनी पांख जेवी छे, तथा (पारेवयगीवनिमा) पारेवानी ग्रीवा ।। जेवी छे. अर्थात् कांइक काळी अने काइक राती छे. ६..
___ हिंगुलधाउसंकासा, तरुणाइच्चसन्निभा । सुअतुंडपईवनिभा, तेउलेसा उ वयो ।॥ ७ ॥ __ अर्थ-(तेउलेसा उ) तेजोलेश्या ( वस्पो) वर्णथी (हिंगुलधाउसंकासा) हिंगळोक अने गेरुना जेत्री छ, ( तरुणाइचसनिभा ) उगता सूर्य जेबी छ, तथा (सुअतुंडपईवनिभा) पोपटनी चांच अने प्रदीप-दीवा जेबी के, अर्थात् राती छे. ७.
हरियालभेयसंकासा, हलिहाभेयसन्निभा । सणासणकुसुमनिभा, पम्हलेसा उ वामओ ॥८॥