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________________ 24-*-*-* बीजा पास प्रकाश करवी नहीं २, सर्व साधुमाऐ आपत्तिमा धर्मनी विशेष ढसा ही २, बालकः प्रथवा परलोकना न|| फळनी अपेक्षा विना तपस्या करवी ४, ग्रहणा अने आसेपना ए बे प्रकारनी शिक्षार्नु सेवन कर, ५, शरीरनी शुश्रूषा करवी नहीं ६, तप करी बीजाने जणाववो नहीं ७, लोभनो त्याग करवो ८, परिपहादिकनो पराजय करवो ९, मार्जव * राखq १०, संयमन विष निर्मळता-निरनिचारता रास्ववी १५. समकितने शुद्ध कर १२, चित्तनी समाधि राखवी १३, | पर पाळवामा माया न करवी १४. विनयमा उपयोग राखी माननो त्याग करवा १५, धृतिमा बुद्धि राखनी १६, 1/ संवेगमा तत्पर रहेg १७, पोताना दोष ढांकवा माटे जे माया करवी ते प्रणिधि कहेवाय छे, तेनो त्याग करवा १८, सारी रीते सर्व विधि करवी १६, संवर करवो २०, पोताना दोषनो त्याग करवो २१, सर्व कामथी विरक्त थवानी भावना राखी || २५, मूळगुणनुं प्रत्याख्यान करणे २३, उत्तरगुणन प्रत्याख्यान कर २४, द्रव्यथी अने भायथी कायोत्सर्ग करवो २५, - प्रमादनो त्याग करवो २६, क्षणे क्षणे सामाचारीनी क्रिया करवी २७, ध्यानसंकृतपणुं एटले आर्त रौद्रनो त्याग करी धर्म | अने शुक्ल ध्यानमा आदर करवो २८, मारणांतिक परिषह सहन करवा २६, सर्व संगनो त्याग करवो ३०, दोष लागे | तेनुं प्रायश्चित्त करवू ३१, तथा अंत समये आराधना करवी ३२, मा बत्रीश योगर्नु पालन कर. नेत्रीश आशातना आ प्रमाणे छे.-शिष्ये गुरुनी आगळ-सन्मुख १, पडखे २, अथवा पादळ ३ अत्यंत नजीक चालवू ते माशातना छे, एज रीते उभा रहेj ते श्राशातना छे ६, एज रोते बेसवु ते पण अाशातना छे ६, बहिभूमिए गयो सतो गुरुनी पहेला चमेने साधारण एवा जळवडे शौचक्रिया करे १०, गुरुनी पहेलो गमनागमन मालोवे ११, रात्रि
SR No.090459
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunvarji Anandji Shah
PublisherKunvarji Anandji Shah Bhavnagar
Publication Year
Total Pages809
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_uttaradhyayan
File Size18 MB
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