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________________ करनार स्पर्श (पंचविहे ) ए पांच प्रकारना (कामगुणे ) इच्छाकाम अने मदनकामने उपकार करनार होवाथी कामगुणोने (निच्चसो ) निरंतर ( परिवजए ) वर्जे. १०. प्रथम ब्रह्मचर्यना दरेक समाधिस्थानमा " शंका धाय अथवा कांक्षा धाय " इत्यादि कह्यु हतु, तेने ज दृष्टोतवडे स्पष्ट करे छे. आलो थी जोगाइलो, धीकहा ये मणोरमा । संधवो चे नारीणं, तासिं इंदिअदरिसणं ॥११॥ | | कइअं सेइ गीअं, हैसिअंगुन्जालिआणि ॐ । पणिभशपाणं च, अइमायं पाणभोअणं ॥१२॥ गैत्तभूसणमि, च, कामभोगा दैजया । नरस्सत्तर्गवेसिस्स, विसं तालउड जहा ॥ १३ ॥ अर्थ-( थीजणाइयो ) स्त्रीजनवडे व्याप्त-सहित एवो (बालश्रो) उपाश्रय, ( 2 ) तथा ( मणोरमा ) मनने ! रमणीय लागे तेवी ( थीकहा ) स्त्री संबंधी कथा अथवा स्त्रीनी साथे कथा फरवी ते, ( चेव ) तथा निश्वे ( नारीणं) स्त्रीोनो (संथवो ) संस्तव एटले तेमनी साथे एक बासनपर बेसी परिचय करवो ते, तथा ( तासिं ) ते स्त्रीमोना से ( इंदिप्रदरिसणं ) नेत्र स्तन विगेरे इंद्रियोने-अंगोपांगने रागथी जोषां ते, तथा ते सी संबंधी पूर्वे करेला (कूइअं) कूजित, ( रुइअं) रुदित, ( गीअं) गीत, ( हसिध) हास्य अने (अत्तासिश्राणि अ) स्त्री साथे मोगलां [ भोगनां ] श्रासनो ए सर्वर्नु स्मरण करवू ते, तथा (पणिभं) प्रणीत एखू (मत्तपाणं च) भक्त पान, तथा (अहमायं पाय मोअणं) प्रमाथी
SR No.090459
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunvarji Anandji Shah
PublisherKunvarji Anandji Shah Bhavnagar
Publication Year
Total Pages809
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_uttaradhyayan
File Size18 MB
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