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________________ मेळववा प्रयत्न कर्यो. जेना परिणामे धारेली सहाय मळी छे. ते सहायकोनां नाम ग्रंथनी पाडळ बताक्वामां श्राव्यां छे. आ ग्रंथना कुत्रीशे अध्ययनोमां नीचे प्रमाणे विषयो प्रापेक्षा के: अध्ययन १ पान १-धर्मर्नु मूळ विनय होवाथी प्रथम विनय नामर्नु अध्ययन प्राप्यु छे. नेमां विनीत भने अविनीतर्नु स्वरूप, विनीतना गुण अने अविनीतना दोष, अश्वना दृष्टांत सहित तथा कथा सहित बतावबामां आवेल छे. तथा विनयना प्रसंगमा साधुनी भिक्षाटनादिक क्रिया, गुरुनो विनय साचबवानी रीत ए विगेरे आपवामा अाब्युं छे. अन्यकरपा, २९..-विजयवंत सादुए परीषहो पण सहन करवा जोइए, तेथी बीजा अध्ययनमां बाबीशे परीषहोर्नु स्वरूप सविस्तर अाप्यु छे. दरेक परीषह स्पष्ट गते समजी शकाय तंटला माटे ते उपर एक एक कथा प्रापी . उपगंत प्रसंगने स्लीघे क्रोध उपर तथा ज्ञान उपर एम थे कथायी अधिक श्रापी छे. अध्ययन ३ पाk ६८-परीपह सहन करवानुं कारण ए छे जे श्रा चतुर्गतिरूप संसारमा टन करता प्राणीयोने मनुष्यभव, धर्म श्रवणनी इच्छा, धर्मपर श्रद्धा अने संयमने विपे वीर्य, श्रा चार वस्तु अति दुर्लभ छे. तेथी चतुरंगीय नामर्नु त्रीजें अध्ययन प्राप्यु हे. तेमां मनुष्यभवनी दुर्लभता उपर चोल्लक विगेरे दश दृष्टांतो ने श्रद्धाना अंश उपर भाठ निन्हबोनी कथा श्रापी छे. ते चारे भंग | जेने प्राप्त धया होय तेने स्वर्ग ने मोक्षमा सुखनी प्राप्ति बताकी छे. अध्ययन ४ पान १०४-चार अंगनी प्राप्ति थया छतां प्रमादनो त्याग करी अप्रमाद सेत्रवानी आवश्यकता होवाथी प्रमादाप्रमाद नामनं चोथु अध्ययन का छे. तेमां जीवित कोइ पण प्रकारे सांधी शकातुं नथी आने वृद्धावस्था आवेथी धन, खी, पुत्र विगेरे कोई lin
SR No.090459
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunvarji Anandji Shah
PublisherKunvarji Anandji Shah Bhavnagar
Publication Year
Total Pages809
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_uttaradhyayan
File Size18 MB
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