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श्रमणोपासक धुल्लशतक
अर्थ-दूसरी-तीसरी बार उपरोक्त वचन सुन कर चुल्लशतक ने विचार किया'यह कोई अनायं पुरुष है। इसने मेरे तीनों पुत्रों को मार कर तेल में तल कर सात-स टुकड़े कर दिये । अब यह मेरी सारी सम्पत्ति को बिखेर कर नष्ट करना चाहता अतः इसे पकड़ लेना उचित है-ऐसा विचार कर पकड़ने उठा तो केवल खंभा ह आया। उसका कोलाहल सुन कर बहला भार्या ने धना की भांति समझापा । उप आलोचना प्रायविधात से विभूति की।
_सेसं जहा धुलणीपियस्म जाब मोहम्मे कप्पे अरुणसिह विमाणे उपवण चत्तारि पलिओवमाई ठिई । सेसं तहेव आष महाविदेहे वासे सिजिला ॥णिक्खेगे ॥ सू. ३४ ॥
॥ सत्तमरस अंगरस उवासगदसाणं पंचम अजायणं सम्मतं ॥
अर्थ- शेष सारा वर्णन चुलनीपिता के समान जानना चाहिए, यावत् अरुणा विमान में देवरूप में उत्पन्न हुए। वहां चार पल्योपम की स्थिति कही गई है। वहीं महाविवेह क्षेत्र में जन्म ले कर सिड-वृद्ध एवं मुक्त बनेंगे।
॥ पंचम अध्ययन सम्पूर्ण ॥