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उपासकदशांग का संक्षेप में परिचय
पूर्वाचार्य कृत गाथाएँ
श्रमणोपासकों के नगर "वाणियगामे चंपा दुवे य वाणारसीए णयरीए।
आलभिया य पुरवरी, कंपिल्लपुरं प पोद्धावं ॥१॥ पोलासं रायगिई, सावस्थीए पुरीए दोषिण भवे ।
एए उवासगाणं, पपरा खलु होति बोळ्या ॥२॥ अर्थ- आनन्दजी श्रमणोपासक वाणिज्य प्राम के थे, २ कामदेवजी चम्पामगरी के, ३ चूलनीपिताजी वाराणसी के, ४ सुरादेवजी भी वाराणसी के, ५ चुलशतकमी बालभिया के ६ कुण्डकोलिकजी कम्पिलपुर के, ७ सकळालपुत्रजी पोलासपुर के ८ महाशतकनी राजगह के ६ नन्दिनीपिताजी और १० साहिपिताजी श्रावस्ति नगरी के निवासी थे।
श्रावकों की पत्नियों के नाम-- मिवणंद-मभू-मामा, धण्ण-यहुल-पूस-अग्गिमित्ता य ।
रेषा अस्मिणि तह फग्गुणी य भज्जाण णामाई ॥शा १ शिवानन्दा २ भद्रा ३ श्यामा ४ घमा ५ सहला ६ पूषा ७ निमित्रा ८ रेवति ९ अघिमो और १० फल्गनी ।
उपसर्गओहिणाण-पिसाए, माया-वाहि-धण-उत्तरिज्जे य।
मज्जा सम्बया दुधया णिरुषसग्गया दोषिण ॥४|| १ अवधिज्ञान का पिशाच का ३ माता का ४ म्याधि का ५ धन का ६ शस्त्र