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________________ सहित पीठिका हैं इत्यादिक रचना सहित रत्नमयी चत्यवृत्त हैं। इन आदि बागवाड़ी, ध्वजापंक्ति, कलश. धूप, घट, मोतोमाला आदि अनेक रचना सहित, अकृत्रिम जिन-मन्दिरों का सामान्य स्वरूप कहा। ताके निकट सामायिक करने के मन्दिर हैं। तहाँ भव्य सामायिक करें हैं। वन्दना मण्डप हैं तिसके पास स्रान LE५ करने के स्थान हैं। जहां भव्यजन पूजन करनेक सान करें सो अभिषेक मण्डप हैं। तहां भक्त-जन नृत्य करने के स्थान सो नृत्य मण्डप हैं । तहां गान करने के स्थान सो जहा भव्य भगवान की गुरामाला का गान करें सो सङ्गीत मण्डप हैं और तहो नाना प्रकार की चित्राम-कलादि की अनेक रचना महाशोभा सहित स्थान, तिनकौं देख, भव्य अनुमोदना करें। तिनकौं देखते मन तृप्त न होय सो अवलोकन मण्डप है। तहां केईक धर्मात्मा-जीवन के, धर्म क्रीड़ा के स्थान हैं और कैएक स्थान ऐसे हैं जहाँ धर्मात्मा पुरुष शास्त्रन का स्वाध्याय करें। गुणग्रहण मण्डप हैं । केई स्थान अनेक पट-चित्राम दिखावने के स्थान हैं। पटशाला-स्थान है । ऐसे अनेक स्थान अकृत्रिम चैत्यालयन के निकट पाइथे। तहां धर्मात्मा धर्म का साधन करें हैं। ऐसे जिन-मन्दिर अकृत्रिम तीन लोक सम्बन्धी हैं। तिन सर्वको अन्तिम मङ्गल निमित्त हमारा मन-वच-काय करि बारम्बार नमस्कार होऊ । सर्व कर्म रहित सिद्ध भगवान अरु च्यारे घातिया कर्म रहित अनन्त चतुष्टय सहित बरहंत देव अरु मुनि संघ वि अधिपति आचार्य: ग्रन्थाभ्यास विर्षे आप प्रवर्ते अरु औरनकं प्रवत्तविं गैसे उपाध्याय और २८मूलगुण सहित साधु ऐते कहे पञ्च परमेष्ठी, पञ्च परम गुरु तिनकौं मन-वचन-काय युद्ध करि अन्तमङ्गल के निमित्त हमारा नमस्कार होऊ। ऐसे इस ग्रन्थ के पूर्ण होतें भया जो हर्ष ताकरि अन्तिम मङ्गल निमित्त अपने इष्टदेवकों नमस्कार करि पाय मल धोय निर्मल होने का कारण जानि कवीश्वर ने कृत-कृत्यावस्थाक प्राप्त होय अपना भव सफल मान्या। इति श्री सुदृष्टि तरङ्गिणी नाम ग्रन्थ के मध्ये में ग्रन्थ पूर्ण होते ममल, निमित्त; नमस्कार पूर्वक, अकृत्रिम घेत्यालय वर्णन पचपरमेष्ठी वर्णन नाम का गुणतालीसवां पर्व सम्पूर्ण भया ॥ ३९॥ आगे और मङ्गलकारी, जिनराजके समोवशरण हैं। ताका संक्षेप वर्णन कीजिये है। मङ्गलमति कल्याणका आकार समोवशरण, भगवानके विराजनेका स्थान अनेक महिमाकों लिये देवोपुनीत समोवशरस है। साका|
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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