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________________ ५५७ बारह केवली भये । नमि के पीछे, आठ केवलो भये। नेमि के पीछे, च्यारि केवली भये। पाश्र्वनाथ के पीछे, तीन केवलो भये। महावीर के पीछे. तीन केवलो भये। ऐसे चौबीस तीर्थक्करों के पीछे, जेते-जेते केवली भये, तिनकी संख्या कही। सो जहाँ लं दुसरे तीर्थकर नहीं उपजे, तेते काल पहिले तीर्थकर का वारा (तीर्थ)कहिये हैं। जैसेप्रथम तीर्थङ्कर पीछे अजितनाथ उपजे, तब लौ पचास लाख कोड़ि सागर, प्रथम-जिन का काल समझना। जैसा सर्वत्र जानना । महावीरके पीछे बासठ वर्ष में तीन केवलो भये । तिनके नाम-गौतम गणधर कवली, सुधर्माचार्य केवली और तीसरे जम्बू स्वामी अन्त के केवलो भये। यहां से आगे केवली नाहीं। इन जम्बू स्वामी के पीछे, सौ वर्ष मैं ग्यारह अङ्ग चौदह पूर्व के पाठी आचार्य हुए। जिनके नाम सुनहु-विष्णु, नन्दिमित्र, अपराजित, गोवर्धन और भद्रबाहु-ये पांच जाचार्य, महाबुद्धि सागर, सर्वश्रुत के पाठो भये और इनके पीछे एक सौ तिरासी वर्ष में ग्यारह आचार्य और होयगे, सो ग्यारह प्रङ्ग अरु दश पूर्व के पाठी होंगे। तिनके नाम-विशाख प्रोष्ठल, क्षत्रिय, जयसेन, नागसेन, सिद्धार्थ, धृतिषेण, विजय, बुद्धिमान, गंगदेव और धर्मसेन। इनके जागे, पूर्वन पाठी नाही। इन जागे दोय सी बोस वर्ष में पांच पाचार्थ, बारह जङ्ग के पाठी होयगे। तिनके नाम-निषध, जयपाल, पारडव, ध्रुवसैन और कंस-इन ताई ग्यारह मङ्गका ज्ञान रहेगा। आगे इनके पीछे सुभद्राचार्य, यशोभद्राचार्य, मद्रबाहु आचार्य, लोहाचार्य-ये च्यारि मुमि, एक सौ अट्ठारह वर्ष में एक आचाराङ्ग के पाठी होयगे। इन पागे, अङ्गन का ज्ञान नाहीं। आगे कहे महावीर के गणधर ग्यारह तिनको आयु कहिये हैपहिले गराधर को जायु, बानवे वर्ष है। दूसरे की, चौरासी वर्ष की है। तीसरे की आयु, अस्सी वर्ष । चौथे की, सौ वर्ष। पांचवें की, तियासी वर्ष। छठवें की, पिचासी वर्ष। सप्तम की, अठत्तर वर्ष। अष्टम की, ७२ वर्ष । नववे की, ६० वर्ष । दश की, ५० वर्ष और ग्यारहवें को, ४० वर्ष-ये गराधरन की आयु कही। ऐसे चौबीस-जिन का संघ कह्या। आगे जब तीजे काल में, पल्य का अष्टम भाग बाकी रह्या, तब चौदह कुलकर भये। तिनके नाम-प्रतिश्रुत, सन्मति, क्षेमकर, क्षेमधर, सीमंकर, सीमंधर, विमलवाहन, चक्षुष्मान, यशस्वी, | अभिचन्द्र, चन्द्राभ, मरुदेव, प्रसेनजित् और नाभिराय-अब इनकी बायु-कायादिक रचना कहिये है पहिला कुलकर प्रतिश्रुत, ताकी अट्ठारह सौ धनुष काय । इनके समय ज्योतिषी जाति के कल्पवृक्षन की ज्योति
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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