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________________ बारह हजार। विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी, पचहत्तर सौ। वादिन ऋद्धि के धारी, सत्तावन सौ। ये सर्व मिलि, दशा-जिन के, एक लाख मुनि कहे। १०। आगे श्रेयांस-जिन के, चौरासी हजार मुनि। तामें चौदह पूर्व के धारी, तेरह सौ। सूत्रपाठी शिष्य-मुनि, अड़तालीस हजार दोय सौ। अवधिज्ञान के धारी, छ: हजार । केवलज्ञानी, साढ़े छः हजार विक्रिया द्धि के धारी, ग्यारह हजार। विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी, चौवन सौ। बाकी वादिन ऋद्धि के धारक हैं। ये चौरासी हजार यति, ग्यारह जिनके कहे।शवासपज्य-जिनके संघ के मुनि, बहत्तर हजार बुद्धि-सागर यति हैं । कतैक, चौदह पूर्व के धारी हैं । केतक, सूत्र अभ्यासी शिष्य-मुनि । कतैक, अवधिज्ञान के धारी। प्ठः हजार, केवली। विक्रिया द्धि के धारी, दश हजार। विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी, . हजार । वादिन के धारी, ब्यालीस सौ हैं। ये सात जाति के संघ सहित बहत्तर हजार मुनि कहे। १२ । बड़सठ हजार यति. विमलनाथ-जिन के काह। वहाँ चौदह पूर्व के पार, बारह सौ। सूत्रमा शिष्य जाति के मुनि, अड़तीस हजार पांच सौ । अवधिज्ञान के धारी, अड़तालीस सौ। केवली, पचपन सौ। विक्रिया ऋद्धि के धारी, नौ हजार । विपुलमति मतः पर्यय ज्ञानी, पचपन सौ। वादिन ऋद्धि के धारी मुनीश्वर छत्तीस सौ। ये सर्व जाति के मुनि अड़सठ हजार कहे ।१३। अनन्तनाथ के संघ में छचासठ हजार मुनि हैं । तामें चौदह पूर्व धारी एक हजार। सूत्र अभ्यासी शिष्य-मुनि गुणसठ हजार पांच सौ । अवधिज्ञानी तियालीस सौ। केवलज्ञानी पांच हजार । विक्रिया ऋद्धि के धारी आठ हजार। विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी पांच हजार हैं। वादिन ऋद्धि के धारी बत्तीस सौ। ये सात जाति के मुनि छयासठ हजार कहे । २४। धर्मनाथ-जिन के यति चौंसठ हजार हैं। तामें चौदह पूर्व के धारी नौ सौ। शिष्य जाति के चालीस हजार सात सौ। अवधिज्ञानी छत्तीस सौ। केवली पैंतालीस सौ। विक्रिया ऋद्धि के धारी, सात हजार। विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी, पैतालीस सौ। वादिन ऋद्धि के धारी ! अट्ठाईस सौ हैं। ये सर्व मिलि, चौसठ हजार, धर्मनाथ जिन का मुनिसंघ कह्या। १५ । शान्तिनाथ-जिन के, बासठ हजार यति हैं। तिनमें चौदह पूर्व के धारी, आठ सौ। शिष्य जाति के मुनि, इकतालीस हजार पाठ सौ।। अवधिज्ञानी, तीन हजार । केवलज्ञानी, च्यारि हजार। विक्रिया ऋद्धि के धारी, छः हजार। विपुलमति मनः पर्यय झानी, च्यारि हजार। वादित्र ऋद्धि के धारी, चौबीस सौ। ये बासठ हजार, सोलवें तीर्थतार के मुनीश्वर ૫૧૨
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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