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________________ तीन गुराव्रत और च्यारि शिक्षा व्रत । र सब मिल बारह भये। तहां प्रथम नाम-अहिंसाणुव्रत, सत्याशुव्रत, अचौर्याणुव्रत, ब्रह्मचर्याणुव्रत, परिग्रहपरिमारणाणुव्रत । ए पांच अणुव्रत हैं। अब इनका सामान्य अर्थ-जहाँ श्री राक देश पांच पापनका त्याग सो अणुव्रत है। अणु नाम थोरेका है सो ये उस हिंसाका तो सर्व प्रकार त्यागी | है। बाकी बारहमें ग्यारह ते असंयम है। परन्तु महा दयाल है। कोई यहां ऐसा जानेगा जो त्रस रक्षक है तो स्थावर घात करता होयगा। मन इन्द्रिय वश नहीं होय सो मन इन्द्रिय करि महा विकल रहता होयगा? सो है भव्य, ए अणुव्रती श्रावक सांसारिक इन्द्रिय भोगन ते महा उदास है। पचिपापन ते महा भय-भीत है। सो इन्द्रिय-मनकौं सदैव रोकता धर्म ध्यान मई प्रवर्ते है। ये भोग-भाव, ताहि काले नाग समानि मासे है। ताका इनमें मन रंजे नाहीं। और स्थावरको हिंसाका त्यागी तौ नाहीं परन्तु पञ्च स्थावरके आरम्भमैं दया भाव सहित आरंभ करें। जहां पर हिंसा होय नामें गमको पालोचर का रने है। तातें ए अणुव्रती मन इन्द्रिय वश करिवेका तो उपाई है। और स्थावरको रत्ता रूप भावनाका भोगी है। तातें ये व्रती श्रावक महा दया धर्मका धारी है। गृह-आरम्भ परिग्रहके योग ते सर्व प्रकार स्थावर की हिंसा बचती नाहीं । ता तिस श्रावक अणुव्रतो कया है। अपने हाथ से त्रस हिंसाका आरम्म नहीं करै। सोयाका नाम अहिंसाणवत है याके पांच अतिचार हैं। सो ही कहिये हैं-अपने हाथ से कोई बस जीव कू नहीं बांधै। जैसे हस्ती. घोटक, गाय, बैल, भैंस, बकरी, मनुष्य इत्यादिक त्रस जीवके हाथ-पांव, बन्धन से नहीं बांधै। गलेमें फन्दा डाल कोईकं नहीं बाँधै। तथा बालककं भी क्रीड़ा-मात्र नहीं बांध । याका नाम बन्ध अतिचार त्यजन है।। बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चौइन्द्रिय, पंचेन्द्रिय इन आदि त्रस जीवनको कोड़ा. लाठी आदि शस्त्रन तें नहीं मारे। सो ये वध दोष त्याग है।२। और मर्यादा के उपरांत पशु पै, मनुष्यन पै भार नहीं लादे। सौ याका नाम अतिभारारोपण दोष त्याग है।३। और त्रस जीवन के अङ्गोपाङ्ग अपने हाथतें नहीं घेदै। सो ये छेदन दोष निवारण है।४। और कोई सका, अत्रजल-घासादि खान-पान नहीं रोक। जैसे कोईके सिर अपना कर्ज आवै था। सो ताकौं रोसा नहीं कहै, जो हमारा कर्ज देव, नहीं तो अत्र-जल खायगा तौँ तोकों ऐसी बाण (कौल) है। ऐसा वचन, व्रती श्रावक नहीं कहै। तथा गाय, बैल, हस्ती, घोटकके खान-पान कू बंद नहीं करें। याकानाम अन्न-पान निरोध दोष त्यजन ४८९
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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