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________________ श्री सु ८ fir ४५९ पात्र पुरुषको सदैव इनका अभ्यास करना योग्य है । इति शास्त्रोक्त चौदह विद्या कही । जागे लौकिक चौदह विद्या कहिये हैं। तहां प्रथम नाम ब्रह्म, चातुरी, बाल, बायन, देशना, बाहु, जल, रसायन, गान, संगीत, व्याकरण, वेद, ज्योतिष और वैद्यक। ये चौदह लौकिक विद्या हैं। अब इनका सामान्य स्वरूप कहिये है। तहाँ आत्मा चैतन्य है। ज्ञान रूप है, शुद्ध है, अशुद्ध है, इत्यादिक आत्माका स्वरूप जानिये सो आत्म विद्या, सोही ब्रह्मविद्या है । २ । जहां नाना प्रकार बातनका करना। राज्य सभा, पंच सभा, जैसी सभा होय तैसी बात करना । परकौं रंजावना चित्रकला, शिल्पकलादि अनेक लौकिक चातुरी सोखना, सो चतुराई विवा है । २ । बाल्यावस्था हो तें अनेक प्रकार विद्याओं का सोखना, सो बाल विद्या है । ३ । जहाँ हस्ती घोटक, रथादिककी असवारी जानना सोखना, सो वाहन विद्या है। ४। धर्मोपदेश देनेकी कला, सो देशना विद्या है | ५ | जहां दण्ड पेलनादि पर मल्ल जीतन की चतुराई नाना कलाका कूदना - फॉंदना नेजम झाड़ना, मोगरी फेरना इत्यादि कला सीखना, सो बाहु विया है । ६ हज तैरनेकी कला सीखना सो जल विद्या है। ७ । बहुरि कुधातु कूं सुधातु करना । जैसे तांबेकूं स्वर्ण करना. रागकी चांदी करना । पारा - हरतालादि शुद्ध करि, रसायन पैदा करनी । इत्यादिक कला सीखना सो रसायन दिया है। और जहां अनेक स्वर सहित काल मर्याद रूप मिष्ट स्वर सहित ताल कूं लिये गावना, सो गान विद्या है। 1 अनेक प्रकार वादित्र कला, नृत्य कला, इनके हाव-भाव गति ललितता, चाल, ताल, इत्यादिकमै शास्त्रोक्त समझना, सो संगीत विद्या है । १० । और अक्षरका सुस्पष्ट स्वर, व्यंजन, विभक्ति सहित समझना. सो व्याकरण विद्या है । ३२। और अनेक शास्त्रका सोखना सो वेद विद्या है। २२ । पंच प्रकार ज्योतिषी वैदनकी चाल करि शुभाशुभ जानना, सो ज्योतिष विद्या है। २३ । अनेक प्रकार शरीरके रोग जाननेकी बहुत परीक्षाका जानना। हाथकी नस, मस्तककी नस, पांवनकी नस, हृदयकी नसोंका परखना। सो याही नसोंकी परखईका नाम नाड़ी परीक्षा है। सो नाड़ी परीक्षा जानै मूत्र परीक्षा, जो मूत्रकूं देखि रोग जाने । दृष्टि परीक्षा सो दृष्टि देख के रोग जानें। पसीना कूं देख-सूधि रोग जानै, सो स्वेद परीक्षा है । इत्यादिक चिन्हन तैं रोग जानि ताके नाश करने की कला सो वैद्यक विद्या है। २४ । ये चौदह कर्म-विद्या हैं। और ऊपर कहीं चौदह, rr . रं 备 लौ
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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