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________________ सु बड़ा होय। कोटि भट लक्ष भट सहस भट इत्यादिक अनेक हस्ति-सिंहकं जीतनेका पराक्रम होता। तथा । । अनेक सैन्याकं आप एकला ही जीते ऐसे शरीर-बल पावना सो शरीर बल है। ४ । और जाको जाज्ञा विर्षे । कौ | अनेक बड़े-बड़े सामन्त राजा होय । सर्व सैन्याके सुभट अपनी आज्ञा प्रमाण होय ! बहुत सामन्तका नाथ होय । सी सामन्त बल है । ५। ये राजा का पांच बल हैं। सो विवेकी राजा कौं इनको इच्छा करनी योग्य है। इति राजा के पांच बल। ऐसे राजा के षट गुण, च्यारि राज्य विद्या, पांच बल। ये सर्व राजा की सम्पदा है। जिनकी || रोसी सम्पदा होय ते राजा सदैव सुखके भोगता होय यश पावै। तप लेय, देव इन्द्र अहमिन्द्र निर्वाण एते पद | पावे हैं। ये शुभ राज लक्षण कहे । आगे पुण्याधिकारी पुरुषनके सीखने की विद्या हैं, जिनके नाम-लक्षण कहिये है। तहाँ प्रथम नाम-प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग, द्रव्यानुयोग, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, छन्द, अलंकार ज्योतिष, निरुक्त, अतिहांसि, पुराण, मीमांसा, और न्याय ये चौदह विद्या हैं। अब इनका विशेष कहिये है। तहो सामान्य बुद्धिनलों धर्म ति लगावनेत भनेक महान पुरुष तीर्थकर चक्रवर्ती नारायण कामदेवादि पुरुषनकी कथा पुन्य पापका फल स्वर्ग-नरक का सुख-दुख कथन इत्यादिक हितोपदेश देनेकी कला, सो प्रथमानुयोग नाम विद्या है। । अधो लोक मध्य लोक ऊर्ध्व लोक इन तीन लोकन की सर्व रचना लोकका जो आकार तामै च्यारि गति रचना का कथन इत्यादिक तीन लोक के कथन उपदेश करने की कला सो करणानुयोग विद्या है।२। और जहाँ मुनि श्रावकके आचार विर्षे प्रवीणता इनके खान-पानकी विधि जानना। मुनि कौं पड़गाहनेकी विधि व नवधा भक्तिको विधि समझना त्यागी-प्रतिमाधारी प्रावककं भोजन निमित्त ल्यायवेकी विधि तिनकू भोजन देवेकी विधि इत्यादिक यति-श्रावकके उपदेश करने की कला सो चरणानुयोग विद्या है।३। और जहाँ षट द्रव्य इनके गुण-पर्यायका समझना। जीवके राग-द्वेष भाव जैसे होंय सो जानना। और पद्धगलके स्कंध ज्ञानावस्यादि कम रुप कैसे होय? और जीव कर्मन से कैसे बन्छ, कर्मन से कैसे खलै इत्यादिक कर्मका बन्ध होना उदय होना सत्त्व रहना इत्यादिक द्रव्यानुयोगके उपदेश देने की कला सो द्रव्यानुयोग विद्या है। ।। और शिष्यनके कल्याण होनेके निमित्त यथायोग्य उपदेश देनेका ज्ञान जो बालकको उपदेश ऐसे दीजिये, तरुणको उपदेश ऐसे वृद्धको उपदेश ऐसे विशेष ज्ञानीक रोसे सामान्य ज्ञानी को ऐसे -
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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