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________________ श्री मु ष्टि १०९ संख्यातवें भाग दूसरे नरक के सासादनी जीवन का प्रमाण है और दूजी पृथ्वी के सासादनीवते असंख्यातवें भाग तीसरे नरक में सम्यग्दृष्टि हैं। इन सम्यक्त्वोनतें असंख्घारा भाग मिश्र हैं। मिश्रनतें तीसरे नरक के सासादनी संख्या भाग हैं। तीसरे नरक के सासादनीमतें असंख्यातवें भाग चौथे नरक के सम्यग्दृष्टि हैं। इन सम्यक्श्वीमतें असंख्यातवें भाग यहां यहां ही के मिश्र हैं। इन मिश्रन संख्यातवें भाग चौथे नरक के सासादनी । चौथे नरक के सासादनीन के असंख्यातवें भाग पंचम नरक के सम्यग्दृष्टि हैं। इन असंख्यातवें भाग पंचम नरक के मिश्र सम्यक्त्वो हैं। मिश्रन संख्यातवें भाग पंचम नरकके सासादनी हैं। पंचम नरक के सासादनीम जकात भाग छठे नरक के सम्यग्दृष्टि हैं। इनतें ह्याही के मिश्र असंस्थातवें भाग हैं। इन संख्यातवें भा छठे नरक के सासादनी हैं। इन छठे नरक के सासादनीनतें सातवें नरक के सम्पादृष्टि संपात भाग हैं। इन सम्यक्वीन असंख्यातवें भाग ह्यां के मिश्र सम्यक्त्वी हैं। इन सातवें नरक के सासादनी हैं। इहाँ साई षट् युगल भवनत्रिक में, पंचेन्द्रिय तिर्थच मैं सात ही नारकीन मैं सम्यग्दृष्टिनतें असंख्यातवें भाग मिश्र बरु मिश्र संख्या भाग सासादनी, ऐसा अनुक्रम कह्या आगे सातवें युगलतें संख्यात भाग को अनुक्रम लिये जानना। आगे सातवें नरक के सासादनीतें संख्प्रातवें भाग सातवें युगल के सम्यग्दृष्टि देव हैं। सातवें युगल के सम्यक्त्वोनतै संख्यातर्वै भाग ह्यां हो के मिश्र हैं। इन मिश्रन संख्यातवें भाग हैं सातवें युगल के देव सासादनी हैं। सातवें युगल के सासादनीनतें संख्यातवें भाग आठवें युगल में सासादनीन आठवें युगल के सासादनीनतें संख्यातवें भाग प्रथम ग्रैवेयक में सम्यग्दृष्टि हैं। इन संख्यातवें भाग इहां के मिश्र हैं। इन मिश्रन संख्यातवें भाग प्रथम ग्रैवेयक के सासादनी हैं। इन प्रथम प्रवेयक के सासादनीनतें संख्यातवें भाग दूसरे ग्रैवेयक में सम्यष्टि हैं। इन सम्यक्त्वोन संख्यातवें भाग इहां के मिश्र हैं। इन मिश्रन संख्यातवें भाग दूसरी ग्रैवेयक के सासादनी हैं। इन दूसरी ग्रैवेयक के सासादनीनतें संख्यातवें भाग तीसरी ग्रैवेयक के सम्यग्दृष्टिन का प्रमारा है। इन सम्यक्त्वीन के संख्यातवें भाग इहां के मिश्र जीव हैं। इन मिश्रन संख्यातवें भाग तीसरी ग्रैवेयक के सासादनी हैं। इन तीसरी ग्रैवेयक के सासादनीनत संख्यातवें भाग चौथो ग्रैवेयक के सम्पष्टि हैं। इन संख्यातवें भाग इहां के मिश्र सम्यक्त्वी हैं। मिश्रन संख्यातवें भाग चौथो ग्रैवेयक के सासादनी हैं। इन चौबे प्रवेशक के १०९ ली
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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