________________
पान - -- कुपात्र
-
सुपात्र
अपान
उत्तम
मध्यम
जघन्य
उत्तम
मध्यम
जघन्य
उत्तम
मध्यम जघन्य (कुलिंगी मन्त्रादिका. (हठकर, सिर चिर | साधु घटाटोप कर श्रापादिका
रचनेवाले भय बताकर गृहस्य) बलात्कार पैसा
मांगनेवाले
(तीर्थंकर) (गणधर)
(साधु) ।
सोलकारण पमं ।
Hiम
उत्तम
जघन्य (मध्यमवावक) (मध्यमश्रावक) (जधन्यधावक)
उत्तम
मध्यम जघन्य - .-. .-..
(जिनलिंग- (जिलिंगधारी (सम्यग्दर्शन
धारी द्रव्य द्रलिंगो रहित सम्यग्हउत्तम मध्यम
जघन्य लिंगी मुनि) श्रावक) ष्टिवत वाह. (सायिकसम्यादृष्टि)(क्षयोपशमिक सम्यग्दृष्टि)(उपशमसम्यादृष्टि)
आचरणवाले गृहस्थ)