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________________ सोसहकारण कर्म । तात्पर्य निकलता है कि ज्ञानोपार्जनके लिये बहावय्यं ब्रतको . बहुत बड़ी आवश्यकता है । और ज्ञानसे सब प्रकारका सुख होता है जो आगेको भावनामें कहेंगे। दूसरी बात यह है कि सदासे यह नियम चला आ रहा है कि " बोर भोग्या वसुघरा" अर्थात् " जिसको लाठी उसको भैंस" तात्पर्य जो बलवान होता है, वही पृथ्यो पर राज्य करता है। निर्बल सदा दबाये जाते हैं। एक ही सिंह अपने बलसे समस्त जंगलके जानवरों पर राज्य करता और निर्भय रहता है । उसका कारण एक ब्रह्मचर्य ही है। वह अपने जीवन में एकवार हो कामसेवन करता है और एक हो वारम अपने ही समान ( बलिष्ट) पुत्र उत्पन्न कर देता ___ जबकि ब्रह्मचर्य के नष्ट होनेसे हमारे बहुतसे भाई अपने जीवन में सन्तानका मुंह देखनेको तरसते तरसते मर जाते हैं, और यदि सन्तान भो प्राप्त करलें तो अधिक समयतक उसे साथ न रख सकें (सन्तानका वियोग अल्प हो वयमें हो जाय)यदि सन्तान जीवित भी रही तो निरंतर वैद्योंको हाजिरी देना पड़े इत्यादि । जबकि सन्तानको निरंतर रोग और औषधिसेवनसे ही फुर्सत ( अवकाश ) नहीं मिलती तो वे संसारका क्या सुखानुभव कर सकते हैं ? वे तो सदैव विषयके स्वादकी इच्छासे तरसते तरसते यमराजके पाहुने बन आते हैं । न वे अपना भला कर सकते न दूसरोंका ही, केवल आयुके दिन गिनने रहते हैं, उन्हें अपना ही जीवन भाररूप हो जाता है । इतने पर भी बहुतसे अज्ञानी मदोन्मत्त हापीके समान अपनी पत्नी व पतिके सिवाय अन्य की पुरुषोंके साथ अपने वीर्यको नष्ट करते हैं । सो उन्हें शारीरिक हानि तो।
SR No.090455
Book TitleSolahkaran Dharma Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size2 MB
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