________________
सप्तोपधान ॥२५॥
नन्दीसूत्रम्
*
गच्छति । ततो मालाग्राही तां मालां गृहप्रतिमाया अग्रतः स्थापयित्वा षण्मासं यावत् धूपोत्क्षेपपूर्वक | नित्यं पूजयति।
॥ इति मालापरिधानविधिः॥
अथ नन्दीसूत्रम् । जहा-नाणं पंचवह पण्णत्त । तं जहा. अभिणिबोहियनाणं, सुयनाणं, ओहिनाणं मणपजवनाण, केवलनाणं । तस्थ चत्तारि नाणाई ठप्पाई ठवणिजाई नो उद्दिसिज्जति नो समुद्दिसिजंति, नो अणुन्नविजति सुयना
गस्स उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो पवत्तइ जइ सुयनाणस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो | पवत्तइ, किं अंगपविहस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ, अंगयाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तह? अंगपविट्ठस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ, अंगबाहिरस्स वि उद्देसो समु. हेसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ । जइ अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ, किं आवस्सगस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तह, आवस्सगवइरित्तस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पव|त्तइ', आवस्सगस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ, आवस्सगवइरित्तस्स वि उद्देसो समुद्देसो | अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ। जइ आवस्सगस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ, किं सामाइयस्स |चउवीसत्ययस्स वंदणस्स पडिकमणस्स काउस्सग्गस्स पश्चक्खाणस्स उद्देसो समुहेसो अणुन्ना अणुओगो पथ
*
**ASSEE
5.