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________________ கககககககககககதிதி 卐 卐 फ फ शक्ति है। 卐 卐 卐 卐 फ्र तद्रूपभवनरूपा तत्त्वशक्तिः । अर्थ — तत्स्वरूप होना है स्वरूप जाका ऐसी तत्त्वशक्ति गुणतीसमी है । जो वस्तुका स्वभाव ताकूं तत्त्व कहिये । सो तत्त्वशक्ति है। 卐 卐 अतद्रूपभवनरूपा अतस्वशक्तिः । अर्थ -- तत्स्वरूप न होय रूप अतत्त्वशक्ति तीसमी है। जैसे चेतन जडरूप न होय यह 卐 卐 अनेक व्यापकद्रव्यमयत्वरूपा एकत्वशक्तिः । अर्थ - अनेक जे अपने पर्याय तिनिर्मै व्यापक जो एक द्रव्य तिसमयी स्वरूप एकत्वशक्ति 卐 इकतोसमी है । एकद्रव्यव्याप्यानेक पर्यायम यत्त्ररूपाऽनेकत्वशक्तिः 卐 अर्थ - एकद्रव्यविषै व्यापनेयोग्य जे अनेकपर्याय तिनिमय स्वरूप अनेकत्वशक्ति बत्तीसमी हैं । भृतावस्थस्वरूपा भावशक्तिः । अर्थ--भूत कहिये भये विद्यमान परिणामतें अवस्थित स्वरूप सो भावशक्ति है ये तेतीसमी है । शून्यावस्थत्वरूपाऽभावशक्तिः । अर्थ -- जिस परिणामका अभाव है तिनिका शून्यपणातें अवस्थितस्वरूप सो अभावशक्ति है । यह चौतीसमी है । फफफफफफफफफफफफफ ratorरूपा भावाभावशक्तिः । अर्थ -- वर्तमान होसी जो पर्याय ताका व्यय होना तिसरूप भावाभावशक्ति पैतीसभी है । अभवत्योदयरूपाऽमावभावशक्तिः । अर्थ - - वर्तमान न होते पर्यायका उदय होना तिसरूप अभावभावशक्ति है । पर्यायभवनरूपा भावभावशक्तिः । अर्थ - - वर्तमान पर्यायका होना, तिसरूप रहना सो भावभावशक्ति है । 卐
SR No.090449
Book TitleSamayprabhrut
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherMussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year1988
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
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