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________________ ககககககழகமிழக்கழிக फ्र फ्र जानू' हो मनकरि वचनकरि, यह धारवा भंग हैं । यामैं कृत अनुमोदना इनि दोऊनिपरि मन वचन ए दोष लगाये । तातें बाईसकी समस्याका भंग भया ।१२।२२। बहुरि वर्तमानकर्मकू मैं क 5 अन्यकुं प्रेरि नाहीं कराऊ हों, अन्यकुं करतेकू भला नाहीं जानू हौं मनकरि वचनकर, ऐसा 卐 तेरवां भंग है । यामै कारित अनुमोदना इनि दोयपरि मन वचन ए दोष लगाये । तातें बाईसकी समस्याका भंग भया । १३।२२ । बहुरि वर्तमानकर्म मैं करूं नाहीं हो, अन्यकू प्रेरि कराऊ नाहीं ही मनकरि कायकरि, यह चौदवां भंग है । यामै कृत कारित इनि दोयपरि मन काय ए दोय लगाये । ता बाईसकी समस्या भई । १४१२२ । बहुरि वर्तमानकर्मकूं मैं करू नाहीं हौं, 5 अन्यकूं करते अनुमोदू नाहीं ही मनकरि कायकरि, यह पंदरत्रां भंग है । या कृत अनुमोदना so दोय लगाये । तातें वाईसकी समस्या भई | १५|२२ । बहुरि वर्तमान 5 5 कर्मकू अन्यकूं प्ररिकरि में कराऊं नाहीं हौं, अन्यकूं करतेकू अनुमोदू नाहीं हौं मनकरि कायकर, यह सोलवां भंग है । यामैं कारित अनुमोदना इनि दोयपरि मन काय ए दोष लगाये । तातें बाई5 सकी समस्या भई । १६।२२। बहुरि वर्तमानकर्म मैं करू नाहीं हौं, अन्यकूं प्रेरि कराऊ' नाहीं हौं वचनकर काकर यह सतरवां भंग हैं । यामैं कृत कारित इनि दोयुपरि वचन काय ए दोष लगाये । तावासकी समस्या भई । १७७२२ । बहुरि वर्तमानकर्म में नाहीं करू हो, अन्यकूं 5 फ करतेकू भला नाहीं जानू हो, वचनकरि कायकरि यह अठारवां भंग है । यामैं कृत अनुमोदना इन दोयपरि वचन काय ए दोष लगाये । तातें बाईसकी समस्या भई । १४१२२ । बहुरि वर्त 5 मानकर्म में अन्य प्रेरि कुराऊ नाहीं हौं, अन्यकूं करते अनुमोदू नाहीं हौं, वचनकार कायर, यह उगणी भंग है । यामें कारित अनुमोदना ये दोय ले, इनिपरि वचन काय ए दौय फ लगाये । तातें बाईसकी समस्या भई । १६।२२ । ऐसे बाईसकी समस्याके नव भंग भये । बहुरि वर्तमानकर्म मैं करू नाहीं हौं, अन्यकूं प्रेरि कराऊ नाहीं हौं मनकरि, यह वीसर्वा भंग क है । यायें कृत कारित इनि दोयपरि एक मन लगाया। तातें इकईसकी समस्या भई ॥। २०१२१ ।। 卐 சு I फ्र 1 卐 卐 卐 卐 卐
SR No.090449
Book TitleSamayprabhrut
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherMussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year1988
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
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