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फ वचन लगाया। तातें ग्यारहकी समस्या म्यारहका भंग कहिये | ४५|१२| बहुरि जो पापकर्म aaraarat में अन्यकू करतेकू भला जाण्या वचनकरि, सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह 5 छियालीसवां भंग है। यामैं एक अनुमोदना ले एक वचन लगाया। तातें ग्यारहकी समस्यातें ग्यारहका भंग कहिये । ४६ । ११ । बहुरि जो पापकर्म अतीतकाल में मैं किया कायकरि सो urved मेरा मिथ्या होऊ । वह सैतालीसवां भंग है यामैं एक कृत ले, एक काय लगाया । तातें 卐 5 ग्यारहकी समस्यातें ग्यारहका भंग कहिये । ४७|११| बहुरि जो पापकर्म में अतीतकालमें अन्यकूं 5 प्रेरिका र कराया काय करि, सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह अठतालीसवा भंग है । यामें एक 5 कारित ले, एक काय लगाया । तातें ग्यारहकी समस्यातें ग्यारहका भंग कहिये | ४८१११ | बहुरि 5 जो पापकर्म अतीतकाल में अन्यकूं करतेकूं भला जाण्या कायकरि, सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह गुणचासवां भंग है । यामें एक अनुमोदना ले, एक काय लगाया । तातें एका एका ऐसें फ ग्यारह की समस्यातें ग्यारहका भंग कहिये । ४९।११। ऐसे ग्यारहके नव भंग भये । ऐसे गुणचास भंग हैं । तिनि तेतीसकी समस्याका एक १ । बत्तीका तीन ३ । इकतीसका तीन ३ । तेई - 5 सका तीन ३ । बाईसका नव ९ । इकईसका नव ९ । तेराका तीन ३ । बारहका नव ९ । ग्यारहका नव ९ । ऐसे सब मिलि गुणचास भये ।
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इन गुणचा भंगनिका संक्षेपपाठ ऐसा जानना - कृत कारित अनुमोदना मन वचन कायकरि ।
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३३ | ए तेतीसकी समस्याका भांग । १ । कृत कारित अनुमोदना मन वचनकरि । ३२ । कृतकारित अनुमोदना मन कायकरि ३२ | कृत कारित अनुमोदना वचनकायकरि ३२ । ए तीन बत्तीसकी समस्याका ३ | कृत कारित अनुमोदना मनकरि । ३१ । कृत कारित अनुमोदना वचनकरि । ३१ । कृत कारित अनुमोदना कायकरि । ३१ । ए इकतीसकी समस्याका तान 卐 5 । ३ । कृत कारित मन वचन कायकरि । २२ । कृत अनुमोदना मन वचन कायकरि । २. कारित अनुमोदना मन वचन कायकरि । २३। ए तेईसकी समस्याका तीन ॥ ३॥ कृत कारित मन
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