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________________ 卐 卐 टीका - जीवद्रव्यकै परदूव्य है सो रागादिक उपजावे है, ऐसी आशंका न करनी । जातें प्रा I 卐 5 hi अन्य द्रव्यकरि अन्य द्रव्यके गुणका उत्पाद करनेका अयोग्य है । सर्वद्रव्यवि स्वभावीकरि 5, उत्पाद है । सोही दृष्टांतकरि दिखाइये हैं — मृत्तिका है सो कुंभभावकरि उपजती संती कहा 卐 कुंभकारके स्वभावकरि उपजे हैं, की मृत्तिका स्वभावकरि उपजै ? ऐसे दोय पक्ष पूछी, तहां जो 15 कहिये कुंभकार के स्वभावकरि उपजे है कुंभके करनेका अहंकारकरि भया जो पुरुष ताकरि • आश्रयरूप अर व्यापाररूप है हस्त जामैं ऐसा पुरुषका शरीर ताका आकार कुंभ भया चाहिये कुंभकारका शरीरकी आकार घट बनाया चाहिये, सो ऐसे है नाहीं । जातें अन्य द्रव्यका स्वभाव 5 करि अन्यदुव्यका परिणामका उपजना न देखिये है । तातें जो ऐसें है तो मृत्तिका कुंभकारके 5 स्वभावकरि तो नाहीं उपजे है, तो कैसे उपजे है ? मृत्तिका स्वभावहोकर उपजे है। जातें अपने 5 स्वभावीकरि द्रव्यका परिणामका उत्पाद देखिये है । ऐसें होतें मृत्तिकाका स्वभावके नाहीं उल्लंघनेतें कुकुंभकार है सो कुंभका उत्पादक कहिये उपजावनहारा नाहीं है, मृत्तिका हो कुंभकार के स्वभाव नाही स्पर्शती संती अपना ही स्वभावकरि कुंभभावकरि उपजे है। ऐसे ही सर्व ही दूव्य हैं, ते अपने परिणामरूप पर्यायकरि उपजते संते हैं, ते कहा निमित्तभूत जे अन्य द्रव्य 'तिनिके स्वभावकरि उपजे है की अपने स्वभावहीकरि उपजे है ? ऐसे दोय पक्ष पूछी, तहां जो कहिये निमित्तभूत अन्य दूव्यके स्वभावकरि उपजे है, तौ निमित्तभूत परद्रव्यका आकार तिसका परिणाम होय, सो ऐसें होय नाहीं । जातें अन्य दुव्यका स्वभावकरि अन्य द्रव्यका परि- 5 गामका उपजनेका अदर्शन है— नाही देखिये है । तातें जो ऐसे है तौ सर्व ही दूव्य हैं ते निमित्तभूत जो परदूव्य ताका स्वभावकरि नाहीं उपजे हैं, तो कैसें उपजे हैं अपने स्वभावीकरि 15 उपजे हैं। जातें अपने स्वभावीकरि सर्वद्रव्यनिका परिणामका उत्पाद देखिये है। ऐसे होते सर्व ही व्यकेि निमित्तभूत जे अन्य द्रव्य ते अन्य द्रव्यके परिणामके उपजाननहारे नाहीं हैं। सर्व 5 ही दूव्य हैं ते निमित्तभूत जे अन्य दूव्य तिनिके स्वभावकूं नाही स्पर्शते संते अपने स्वभावकरि 5 फ्र फ्र 卐 卐 1 फ्रफ़ फफफफफफफफफफ
SR No.090449
Book TitleSamayprabhrut
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherMussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year1988
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
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