SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समय २६६ फ़फ़ फ्रफ़ फ्रफ़ फफफफ 卐 卐 卐 卐 卐 卐 चारित पडिणिबद्धं कसायं जिणवरेहि पण्णत्तं । तस्सोदयेण जीवो अच्चरिदो होदि णादव्वो ॥ १९ ॥ सम्यक्त्वप्रतिनिबिद्धं मिथ्यात्वं जिनवरैः परिकथितं । तस्योदयेन जीवो मिध्यादृष्टिरिति ज्ञातव्यः ॥ १७ ॥ ज्ञानस्य प्रतिनिबद्ध अज्ञानं जिनवरैः परिकथितं । तस्योदयेन जीवोऽज्ञानी भवति ज्ञातव्यः ॥ १८॥ चारित्र प्रतिनिबद्धं कषायो जिनवरैः प्रज्ञप्तः । तस्योदयेन जीवोऽचारित्रो भवति ज्ञातव्यः ॥ १९ ॥ आत्मख्यातिः--सम्यक्स्वस्य मोक्षहेतोः स्वभावस्य प्रतिबंधकं किल मिथ्यात्वं तत्तु स्वयं कर्मैव तदुदयादेव 卐 फफफफफफफफफफफफफफ 卐 ज्ञानस्य मिथ्यादृष्टित्वं । ज्ञानस्य मोक्षहेतोः स्वभावस्य प्रतिबंधकमज्ञानं तत्तु स्वयं कर्मेघ तदुदयादेव ज्ञानस्याज्ञानत्वं । 5 चारित्रस्य मोक्षहेतोः स्वभावस्य प्रतिबंधकः किल कषायः, स तु स्वयं कर्मैव तदुदयादेव ज्ञानस्याचारित्रत्वं । अतः स्वयं भोक्षहेतुतिरोधायिभावत्वात्कर्म प्रतिषिद्ध ं । 卐 अर्थ -- सम्यक्त्वका प्रतिबंधक रोकनेवाला मिथ्यात्व है, सो जिनवर देव कया है, ताका उदय 卐 करि जीव freeiefe होय है ऐसा जानना । ज्ञानका प्रतिबंधक रोकनेवाला अज्ञान है, यह 5 जिनवर देव का है, ताके उदयकरि जीव अज्ञानी होय है ऐसा जानना | चारित्रका प्रतिबंधक 15 कषाय है ऐसे जिनवर देव कया है, ताके उदयकरि जीव अचारित्री होय है ऐसा जानना । टीका – सम्यक्त्व मोक्षका कारण स्वभाव है, ताका प्रतिबंधक रोकनेवाला मिथ्यात्व है, सो आप स्वयं कर्म ही है, ताके उदयते ही ज्ञानकै मिध्यादृष्टिपणा है । बहुरि ज्ञानके मोक्षका कारण स्वभाव है, ताका प्रतिबंधक रोकनेवाला प्रगट अज्ञान है, सो आप स्वयं कर्म ही है, ताके उदयतेही ज्ञानके अज्ञानीपणा है । चारित्रके मोक्षका कारण स्वभाव है, ताका प्रतिबंधक प्रगट 5 卐 卐 卐
SR No.090449
Book TitleSamayprabhrut
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherMussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year1988
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy