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________________ - श्री शीतलनाथ पूजा है (३० चन्द्रसागर कृत ) - - - - - - - - दोहा:--भी सजोधपुर मंडन, शीतल नाथ जिनेश __ अाह्वानन संनिधि करी, थापु आवहु देश ।। ॐ ह्रीं सजोधपुरतीर्थस्थ शीतल नाथ जिनेन्द्र अत्र अवतर ३ संवौषट । अत्र विष्ठ निष्ठ ठः ठः । अत्रमम सन्निहितो भर भव वषट् । (राग-म्हारी दीन तणी सुनो विनती ) प्राणी गंगोदक शुभ जल्लसरी, रन जड़ित मृगार मुमारहो। जिन चरणाम्बुज धारिये, जन्म जरा मरण निवार हो ॥ श्री शीतल जिन पूजिये प्राणी सजोधपुर वर मंडगो, सुखकरी भविषण सार हो । इन्द्र नरेन्द्र सेवा करे पामे नवनिधि अस्थ भंडार हो । श्री शीतल. ॥ जलम् प्राणी मातन चन्दन पतिकरि मलयागिरि शुभवास हो । जिन चरणाम्बुज चर्चिए, मव प्राताप करत पिनाश हो ।। श्री शीतल • चन्दनम् । प्राणी अखंड अक्षत ऊजला, ज्योतिचन्द्र किरण समजाण हो । अक्षतसु जिन पूजिये, बहे अक्षय पद सुख खाण हो 1 भी. अक्षतम् । -- ॥४
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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