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________________ -- - - - - - - * जयमाला (भ० विश्वसेन कृत) पता:- पणमवि परमेसर ऐमि विणेसर शासिय दुक्खिय कम्ममलो । __पुर कमि भत्तिय, णियमण सचिय, सिद्ध चक्क जयमाल फलो।१।। तमाला सभा झn Hila , स्वा दारूणा लोयणा रत्त भीसा । ___गहा भूय चेपालणं साति चर्क, वरं भावये हिम्मत सिद्ध पर ।।२।। तणु भीसया बैंक दट्या कराला, बजालोयसा जीह खासा विसाला । वसी होति सिहाय डड्ढेण चक्क, बरं भावये णिम्मलं सिद्ध चक्कं ॥ ३ ॥ सरोसा अघोरा महाकाल रूवा, कुरुरा विपा सेविसा दुहमाना । ___सकोहण डंकं तिहोणाप चक्कं, बरं भावये णिम्मल सिद्ध रक्कं ॥ ४ ॥ जरा खेय रोगावलि एठमाला, पमेद विरुठा लिया फूटसला । विणासंति सासाण लावाहि चक्कं बरं भाश्ये... ॥ ५ ॥ सधूमालि भोसणा संजलता, फुलिंगाप मेलति चंडाधिगता । पडाहोंति देहं सही जाल चक्कं वरं भावये....... ॥ ६ ॥ सकल्लोल लोला बहुला तरंगा, अपारा सिघोसा वसि सिंधु गंगा । अगाधासुतारंति सोणीर चर्क, परं मानो....... ॥ ७ ॥ I8U
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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