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________________ 1१६६॥ - - -- NAAD ५२ , बीमा दि गाम्य संपनि युवतार निनाय नमः । ५३ , निर्मल गगनातिशय युक्ताय जिनाय नमः । ५४ , अन्यदेवालानन युक्ताय जिनाय नमः । ५५ , धर्म चक्र युस्ताय जिनाय नमः | ५६ , अष्ट मंगल द्रव्य मुक्ताय जिनाय नमः । ५ चतुर्दश पूर्व मंत्र ४७ ॐ ह्रीं एक कोटि पद प्रमाणाय उत्पाद पूर्ण गाय नमः । ५८ , एणवति लक्ष पद प्रमाणाय अग्रायणी पूर्णय नमः । ५६ , सप्तति लक्ष पद प्रमाणाय वीर्यानुवाद पूर्वाय नमः । ६. , प्रष्टी लक्ष पद प्रपारच अस्ति नाति प्रवाद पूर्वाय नमः । , एकोन कोटि पद प्रमिताय ज्ञान प्राद पूर्वाय नमः । , पथिक कोटि पद प्राणाय सत्य प्रवाद पूर्वाय नमः । ६३ , पड विशति कोटि पद प्रमाणाय भात्म प्रवाद पर्वाय नमः । ६४ , अशांति लवाधिक कोटि पद प्रमाणाय कर्म प्रबाद पूर्वाय नदः । ६५ , चतुरशीति लेक्ष पद प्रमाणाय प्रन्याख्यान पूर्वाय नमः । ६६ , पाठी लक्ष द्वि कोटि पद प्रमाण विद्यानुवाद पूर्वाय नमः । - ॥१६॥ -
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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