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________________ ३ ॥ (वरुण देवताइवाननम् ) वारूणं यंत्र मुद्धृत्य, पूजयेद्विधि पूर्वक ___ भोगैश्वर्यामिवृद्धयर्थं, जनानां हित काम्यया ।। १ ॥ ॐ ह्रीं वरूणदेव अलयात्रा महोत्सवे प्रागच्छागच्छ तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः ठः मम सन्निहितो भव भव वषट् । श्राहाननं, स्थापनं, सनिधिकरणं, ॥ यंत्रस्थापन । (पुष्पांजलि क्षिपेन् । ॥ अथ मध्य कर्णिका पूजा ॥ पाशपाणिमपानाथ, पश्चिमाशा पति वरम् । पूजयामि महा भक्त्या, सर्व कन्याय कारकम् ॥ २ ॥ ॐ ह्रीं वरूण देव सपरिवारेण जलयात्रा महोत्सवे आगच्छागच्छ बली गृहाण २ जलं मुच२ स्वाहा ॥ (पुष्पांजलिं क्षिपेन) ॐ ह्रीं वरूपा देवाय इदं जलमित्यादि । इति मध्य कर्णिका पूजा । ॥ अथ प्रत्येक पूजा ॥ हिमाद्रि संस्थिता रम्या, पम द्रह निवासिनीम् । भूजयामि महाभक्या, श्री देवी श्री विधायिनीम् ॥ ३ ॥ ॥ ३ ॥
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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