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विलतदक्षत धाम लतांकुर प्रकर बीजमयः सितभाक्षतैः
___ रुचिकर भव दाहणता हरैः समभिः ..... ॥ अक्षतं ॥ ३ ॥ रतिमिवारचरिलिग्रज-मधुर मुस्लिर कैतरतामितः
बकुल चंपक मोगर पंकजै समभिः ...... ॥ पुष्पं० ॥ ४ ॥ वितुषशालिज भक्त मर्ने, श्चमिगचित पाचित संस्तुतैः ।
बहुविविमलेत पापनैः, सममि........ नैवेद्यम् ॥ ५ । महिगणैः प्रम याजिततारकः रिवसुरालयस्तिमिरापहै !
परिसर प्रसत प्रभदीप, समभि....... || दीपम् ।। ६ ॥ सुरपतेः नियमावनितु' उनादवनिवोऽम्बर मध्यगरिव
विततधूम्रभिषेणसुधूपकैः समभिपंदन....... | धूपम् ।। ७ । अमृतजैरिव रक्ष रसायनै शुभतमैर मोद विधायकैः
फसवफलवकल लब्धये, समभिनं.... .. । फलं ॥ = || सलिल चन्दन पुष्प सुतंदुनै-श्चरु सुदीप सुघरलोच्चयोः ।
प्रवरभक्ति चयोपहतेमुदा, समभि....... ॥ अर्घ ॥ ६ ॥
8 जयमाला धार्याछंद-अभिनंदनमबहार, भुवन त्रय वन्ध मौख्य दातारम् ।
नौम्युज्यल गुण थारं, ध्यानानक दग्ध संसारम् ।।
॥१६६।।