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________________ ॥ पादरोद्धारपल्योपमविचारः ।। उत्सेधांगुल प्रमाण रोमने सातवार आठ आठ वड करवायडे २०१७१५२ खंड ( भाग) थाय सेवा रोमखंडपड़े आ पल्प भरवो" इ. त्पादि संप्रदाय अर्थ देखाय छ एम जाणवु. ए एकेक अङ्गुलना करेला रोमखडनी राभिने २४ गुणी करीए तो ( ५०३३१६४८ रोमरवंड ) हाथ जेटली जग्यामां समाय; पुनः एने ४ गुणा करतो (२०१३२६५९. रोमखंड) एक धनुष्य जेटली जम्यामां समाय. पुनः तेने २००० गुणा करतां ( ४०२६५३१. ८४००० रोमखंड) एक गाउमां समाय: ए प्रमाणे अनुक्रमे सरस्वा गोळाकार. वाळा १ घनयोजन ( १ योजन लांघो-एक पोजन पहोलो ने एक योजन - हा एवा ) कूचामा रहेका रोमखडनो जे राशि थाय के ते आफदायी कवाय छे. ३३ कोड ७ लाख अने उपर ६२ हजार एकसो चार पटकी कोराकाडी कोडा कोरिओ कईली छे. पुन: २४ लाख ६५ हजार छसे ने पचीश कोडाकोडि कोडि छे. पुनः ४२ लाख १९ हजार ९ सो ने ६० एटली कोटाकोडि. बने ९७ लाख ५३ हजार ने ६ सो क्रोड एटला सर्व रोपखंड आ पल्यमा (कुवामा) समाय. ॥ ७४ यी ७८ ॥ अर्थात् ' ३३०७६११०४,२४६५६५५.४२१९९. ६०,९७५३६००,००००००० ए प्रमाणे पल्पोपमनी रोमखंड संख्यानो अंक अहि मयमयी अनुक्रमे गणवो ( परन्तु शास्त्रपरतिए अंकाना वामतोगतिः ने अनुसारै नहि. ए तात्पर्य है, )॥ ७९-८० ॥ अहिं पूर्व कयाथी बाकी रहेलो विस्तार जम्बूदीपप्रज्ञप्तिनी वृत्तिथी जाणवो. १ विषक्षित १ रोममा प्रथमवखत ८ खंड कर्यावाद पुनः ते आठे खंडना बीजीवार आठ आठ खंड करवाथी ६४ थाय पुनः ते ६४मांना दरेकना जीजीवार आठ भाट संड करवाथी ५१२ खर थाय बोधीवर ४०९६, पांचमी पार ३२७६८, छठोवार २६२१४४ अने परीले सातमीवार आठ आठ मंड करतां २०९७१५२ खंड (१ उन्सैधांगुल पालना ) वाय. २ संप्रदाय अर्थ-गुरुपरंपरयो वाल्यो भाषतो अर्थ के जे शाखा सोय अथवा न पण होय. ३ प्रथम एक गाउमा समायला रोमखंडने ४ गुणा करतां १६१०६१२७३ ६... रोमखंड १ सूची योजनमा समाय, तेनो वर्ग करतां (तेटलायज गुणतां ) २५९४०,२५३३८५३,६५४१५६९,६०००००० रोमखंड १ प्रतर योजनमा समाय, पुनः पनो धर्म करता ४१७८०३७६३,२५८८१५८.४२७७८४५४४२५,६०००००. ०८०७ रोमांड पक घनयोजनमा समाय, परन्तु पटला रोमखंड चोरम घन
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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