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॥गुणस्थानद्वारे गुणस्थानकेषु नववारयन्त्रकवर्णनम् ॥
(शार
मरण थाय के
?
उत्कृष्ट अरुपबहुल्य एक समययति जीवापेक्षया
जधस्य तथा उत्कृष्ट
स्थिति
जघन्य तथा जनकर
भयोगि सिद्ध
जघ -अन्तर्मुहर्स मरण होय | भगवन्तो) थी
| उ.-अन्यने अनादिसाश
लादिसान्त अनन्तगुण.
अभव्यने अनादि अनन्त
अघ-अम्तमु उ०-के छासठसागर
साधिक.
५ माथी असंख्य | जघ०-१ समय
उ.-६ आषलिका
अघपल्यामध्येयभाग 30-देशोन of पुनल
पराष
मरण न होय
२अाथी असंख्य | जब-- अन्तर्मुहूर्त गुण
ज०- ,
अघा-अन्तमु उ.-वेशीन । पुद्रल
परावर्त
| ३ माथी असंख्य जघ–भम्तमुहते मरण होय
गुण उ.- साधिक ३३ सागर
६ हाथी असंख्य | जय-अन्तर्स
उ७-यष ७मास न्यून गुण
पूर्व कोरवर्ष
७माथी संश्य | जघ० १ समय
गुण | उ०-देशविरतवत् । वा टेप्साहन
अन्तर्मुहस) पृथक्य )
१३ माथी संख्य | जधः-१ समय
गुण [कोशितपृथ- उ-अन्तर्मुहर्स
कल्य]