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________________ ॥ येदवारं वेदकायस्थितिविचारः ।। वेदनी कायस्थिति-पुरुषवेदनी अने संज्ञिपणानी जघ० कायस्थिति अन्तर्मु० मात्र के, अने उत्कृष्ट शतपृथफुत्व (२.००) सागरोपमयी कंक अधिक छे, स्त्रीवेदनी कायस्थिति श्रीपनवणाजोमां जय० १ समय कही छे, अने पनी उत्कृष्ट कायस्थितिमा पांच आदेश [प्रकार] दर्शाच्या के । ते आ प्रमाणे-पूर्वकोहिपृथक्त्ववर्षाधिक १४-१८-१०-१०० अने पृथ० पल्यापम । पूर्व कोटि पृयक्त्व वर्प सहित ए पांचे विकल्प(स्त्रीवेदनी उ०कायस्थितिना) छे, ते सर्वनो विस्तार पंचसंग्रहनी वृत्ति वगेरेथी जाणवो. ।।टुंकामा एनो विचार आ प्रमाणे) पूर्वकोडवर्पना आयुष्यवाळी स्त्रीयोनी पहेला अने वीजाम्बर्गमां परिगृहीता अने अ १ अर्जाि मंक्षिपणानी कायस्थितिनो प्रमंग नथी नोपण तुल्य होबाथी प्रमग दर्शाषी छे. र कायस्थिति पटले तेनो तेज भाव अविछिन्नपणे चालु रहेको त अथवा मततका ३ अन्य वेदवाका जीयमाथी आधीने पुरुषषद पणे उत्पन्न याय या जघ० आयुष्य अन्तम भोगी काळ करीने अन्यषेत्रमा उत्पन्न थाय ना जथ० कायस्थिति अन्तर्मुः थाय पथी अधिककाळ पुरुषवेद पक जोबने रहेनो नथी पण अवश्य बवलाय छे. ५. कोक श्री उपशमणिमा अवयक धड़ उपलब्धी पडतां पुनः ९ मे गुणस्थाने १ ममय श्रीवेद अनुभवीने बीजे ममय काळ करी अवश्य देवपणे उत्पन्न थाय माटे. ६ प पांच आदेश श्री पन्नधणाजीमां आ प्रमाणे छे. (३)-कारक जीव मनुष्य श्रीपणु अथवा तिर्यंच खीपणु पूर्व कोष्ट वर्षना आयुष्यपुर्वक पांचवार पामीन मदनंतर शान फल्पमां ५५ पल्योपमना आयुष्ययाळी अपग्गृिहीता देवी पणे उत्पन्न था पुनः त्यांथो काळ करी पूर्व आयु० मनुष्य स्त्री अथवा निर्यची याय स्यांगो पुनः शान कल्पमा ५५. पन्यापम आयुण्यवाळी अग्गृि० देखी धाग त्यांयी फाळ करीने अवश्य बीजा वेदमांज उत्पन्न याय माटे. ६ पूर्षकोडर्ष अधिक ११० पम्योपम थाय. (२) केटलाएक एम कडे छे के पूर्वक्तिरीत उत्कृष्ट आयुष्ये मनु स्वीपणु पायवार प्राप्त थया बाद अपरिदेवी पणे उत्पन्न वाय महि,पण ये वार९पल्योन्ना आयुष्य. पाळी पग्गृि देवीपणेज शिानमां उत्पन्न था शक नो तेऑन मनं ६ पूर्वकोड वर्षाधिक ८ पछ्यापम थाय. (३)-केटलाएक पम कहे छ के-पूर्वक्ति रीते ईशानमां बे धार नहिं उत्पन थतां सौधर्म मांग ७पल्यो आयुष्यवाळी परिगृदेवीपणे उत्पन्न घाय. माटे
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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