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________________ ( ८३ ) 'पुरोक्त मन्त्रेण' पूर्वोक्त 'उ उच्छिष्ट' इत्यादि मन्त्रेण । 'वेष्टयेत्' वेष्टनं कुर्यात् । 'बाह्य' पृथ्वी मण्डल - बहिः प्रदेशे । 'रजनीहरितालाचं : हरिताल हरिद्रागोदन्तादिपीत द्रव्यैः । क्च ? 'सूर्ये' सूर्यपत्रे । विधिता' यथाविधानेन । 'श्रन्वित: ' युक्तः । विलिखेत्' विशेषेरप लिखेत् ॥ १३ ॥ [ हिन्दी टीका | - पृथ्वी मंडल बनाकर ऊपर पूर्वक्त मंत्र से यंत्र को वेष्टित कर देवे, इस यंत्र को भोजपत्र पर केशर हरितालादि द्रव्यों से विधिपूर्वक लिखे ।। १३ ।। तत्कुलालकर मृत्तिकावृतं तोयपूरितघटे विनिक्षिपेत् । पार्श्वनाथमुपरिस्थमचयेद् दिव्यरोधन विधानमुत्तमम् ॥१४॥ [ संस्कृत टीका ] - 'तत्' तद् यन्त्रम् । 'कुलालकर मृत्तिका वृतम् कुम्भकारकराप्रमृदा वेष्टितम् । 'तोय पूरितघटे' जलपरिपूर्णनव घटे । 'विनिक्षिपेत्' निदध्यात् । 'श्री पार्श्वनाथ श्री पार्श्वभट्टारकम् । कथम्भूतम् ? 'उपरिस्थं' तत्कुम्भस्योपरि स्थितम् । 'अर्चयेत्' पूजयेत् । 'दिव्यशोधन विधानम् दिव्य स्तम्भकररगम् । 'उत्तम' श्रेष्ठम् । दिव्यस्तम्भनयन्त्रमिदम् ॥ १४ ॥ ॥ | हिन्दी टीका ] - | - इस यंत्र को कुम्भार के हाथों पर लगी हुई मिट्टी से यंत्र को बन्द कर, पानी से भरे हुये नवीन घडे में डालकर, उस घड़े पर पार्श्वनाथ जिनेश्वर की पूजा करे, तो उत्तमदिव्य स्तम्भन होता है || १४ || यह दिव्य स्तंभनयंत्र विधि है, यंत्र चित्र नं० २३ देखे | रिपुनामान्वितमान्तं मलवरयू कारसंयुतं टान्तम् । तबाह्य भूमिपुरं त्रिशूलभूतोग्रमृगवेष्ट्यम् ।।१५।। | संस्कृत टीका ] - " रिपुनामान्वितमान्तम्' शत्रोर्नामयुक्त' 'मान्तम्' यकारम् । 'मलवरयू कारसंयुतं' मश्च लश्च वश्च यू कारश्च मलवरयू काराः तैः संयुतम् । कम् ? 'टान्तम्' टकारम् । एवं ठुम्ल्य्य" इति बीजं, यकार बहिः प्रदेशे । 'तबाह' भूमिपुरं' 'तत्पिड बाह्य भूमिपुरं तत्पिण्ड बाह्य पृथ्वीमण्डलम् । त्रिशूल भूतोग्रमृगवेष्ट्यम्' तत्पृथ्वीमण्डलबाह्य त्रिशूलनकभूतकरमृगजातैः 'वेष्टयं' परिवृतम् ||१५|| [हिन्दी टीका ] - देवदत्त के नाम सहित यकार को लिखकर ठुम्ल्य यह बीज लिखकर उसके ऊपर पृथ्वीमंडल बनावे, फिर उसको त्रिशूल, भूत, आदि हिंसक पशुओं से चारों तरफ घेर दे ||१५||
SR No.090432
Book TitleBhairava Padmavati Kalpa
Original Sutra AuthorMallishenacharya
AuthorShantikumar Gangwal
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Occult
File Size5 MB
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