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________________ प्रदान किया है । वास्तव में यह कार्य बहुत मुश्किल था जो आपके सहयोग से हो सका है । ग्रंथमाला की ओर से प्रापको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं । मूनलाइट प्रेस के सभी कार्यकर्त्ताओं को भी धन्यवाद देता हूं कि समय पर कार्य पूरा कराने में हमें सहयोग प्रदान किया है । ग्रंथमाला के प्रकाशन कार्यों में प्रथमाला के सभी सहयोगी कार्यकर्त्ताओं का बहुत-बहुत आभारी हूं क्योंकि आप सभी के सहयोग करने पर यह कार्य हो सका है । ग्रंथ प्रकाशन खर्चों में जिन-जिन दातारों ने हमें प्रार्थिक सहयोग प्रदान किया है, मैं ग्रंथमाला की ओर से उन सभी का आभार प्रकट करते हुये बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं और आशा करता हूं कि भविष्य में भी आपका सहयोग हमें इसी प्रकार प्राप्त होता रहेगा । अन्य दातारों से भी मेरा निवेदन है कि इस ग्रंथमाला को अधिक से अधिक सहयोग प्रदान करें। जिससे आगे भी उन ग्रंथों का प्रकाशन हो सके जिनका अभी तक प्रकाशन नहीं हुआ है । ग्रंथमाला समिति द्वारा प्रकाशन कार्यों को बहुत ही सावधानी पूर्वक देखा गया है फिर भी त्रुटियों का रहना स्वाभाविक है । मेरा स्वयं का अल्पज्ञान है । और ग्रंथ में प्रकाशित सामग्री मेरे सामान्य ज्ञान की परिधि के बाहर है। मैंने तो मात्र परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुंथूसागरजी महाराज की श्राज्ञा को शिरोधार्य कर यह विकट कार्य करने का साहस किया है । अतः साधुजन विद्वज्जन व पाठकगण से निवेदन है कि त्रुटियों के लिए क्षमा करें । ज्ञानी पण्डित हूं नहीं प्रकाशन का नहीं ज्ञान । अशुद्धि त्रुटि होवे तो शोध पढ़ें श्रीमान ॥ जंन मित्र, जंन गजट, अहिंसा, करुणादीप, पार्श्वज्योति यादि पत्रों के सम्पादक महोदयों को भी उनके द्वारा ग्रंथमाला के लिये दिये दिये सहयोग के लिये बड़ा आभारी हूं और उनके सहयोग के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। आशा है आप सभी का सहयोग ग्रंथमाला के प्रकाशनों के प्रचार-प्रसार में हमेशा प्राप्त होता रहेगा । अंत में परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य वात्सल्य रत्नाकर, श्रमण रत्न, स्याद्वाद केशरी कुंथूसागरजी महाराज की प्रज्ञा से यह ग्रंथ परमपूज्य श्री १०८ प्राचार्य विमलसागरजी महाराज के करकमलों में विमोचन करने हेतु सादर समर्पित करते हुए आज मैं अतीव प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं । दिनाङ्क: १३-३-८८ पुनः आशीर्वाद की भावना के साथ संगीताचार्य परम गुरुभक्त प्रकाशन संयोजक शान्ति कुमार गंगवाल (बी० कॉम )
SR No.090432
Book TitleBhairava Padmavati Kalpa
Original Sutra AuthorMallishenacharya
AuthorShantikumar Gangwal
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Occult
File Size5 MB
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