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________________ [हिन्दी टीका]-अपनी इच्छित स्त्री के रुप को एक ताम्रपत्र पर ऊपर पैर और नीचे की अोर शिर करके बनावे फिर उस स्त्री के हृदय पर ॐ ह्रीं लिखे, शरीर के सब जोड़ों पर क्रों को लिखे, दोनों स्तनो पर ही लिखे, उसी प्रकार योनि प्रदेश पर यूं लिखे फिर को कार से परिवेष्टित करके बाद में नीचे लिख मंत्र से वेष्टित कर दे, उसके बाद अग्नि मण्डल, वायु मण्डल और पृथ्वी मण्डल से पैर देवे, तीन दिन दीपाग्नि पर यंत्र को तरावे तो आकर्षण होता है ।।४।। ___वलय में लिखने के लिये मंत्र:-ॐ नमो भगवति कृष्णमातङ्गिनिशिलाब कल कुसुम रुप धारिणि किरात शवरि सर्वजन मोहिनि सर्वजन वशकरि ह्रां ह्रीं ह्र ह्रौं ह्रः अमुक (को) आकर्षय-२ मम वश्या कृष्टि कुरु कुरु संवौषट् । पत्रे स्त्रीरुपमालिख्यमूर्ध्वपादमधः शिरः । ब्रह्मादिराजिका धूम भानु दुग्धेन लेखयेत ॥५॥ [संस्कृत टीका]-'पत्रे २ ताम्रपत्रे । 'स्रोरुपम्' इष्टाङ्गनारुपम् । 'प्रालिलयं लिखित्वा । कथम् ? 'ऊर्ध्वपादमधः शिरः' पादावूयं शिरोऽषः कृत्वा लिखेत् । 'ब्रह्मावि ब्रह्मादिपलाशश्नग्धत्त रमिजि अन्ये बदन्ति ब्रह्माविष्ण रुद्रेति त्रिपुरुषम् । 'राजिका' गौरसर्षयाः । 'धूम' गृहधूमम् । 'भानुदुग्धेन' अर्कक्षीरेण लेखयेत्। एतैः द्रव्यः कथित सी रूपं यन्त्रं लेखयित्वा दीपशिखग्नौ तापयेत् इत्यर्थः ।। [हिन्दी टीका]-इस यंत्र को ताम्रपत्र पर (अवथा तांबुलपत्र पर) स्री रूप को जिसके पांव पर और शिर नीचे करके लिखे, लिखने के द्रव्य इस प्रकार लेवे, धनूरा का रस, पलास का रस, थुअर का रस, सफेद सरसों, घर के धुआ का मेश, प्राकडे का दुध आदि द्रव्यों से (धतूरा, सफेद सरसों, गेहूं और प्राकडे के दूध से) लिने, फिर तीन दिन तक दीपक की शिखा पर यंत्र तपावे तो इन्छित स्री का प्राकर्षरण होता है ॥५॥ अंगनाकर्षण यंत्र चित्र नं. २६ देखें। नोट :-इस यंत्र की दूसरी प्रतियों में मूर्ति के बाहर अग्नि मंडल, बाहर क्रोंकार से वेष्टित, फिर मंत्र वलय और पृथ्वी मंडल लिख कर यंत्र की समाप्ति करना, मुल विधि यही है, संस्कृत में इसी प्रकार का पाठ है । १. लेपयुत् इति ख पाठः । २. हस्त लिखित प्रति में तांबूल पत्र पर लिखने को कहा है।
SR No.090432
Book TitleBhairava Padmavati Kalpa
Original Sutra AuthorMallishenacharya
AuthorShantikumar Gangwal
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Occult
File Size5 MB
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