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________________ दो शब्द देहली भारतवर्ष की राजधानी है। आज स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद तो रहली का बहुत ही विशिष्ट स्थान है। समस्त धर्मों के धर्मगुरु प्रायः सदैव ही बिहली में विद्यमान रहते हैं। देहली के सौभाग्य से गत तीन वर्षों से पूज्य इमाचार्य १०८ विद्यालंकार श्री राम जी महाराज का देसी बायुमास हो रहा है । पूज्य आचार्य श्री कानड़ी संस्कृत तथा हिन्दी भाषा के एक उच्च कोटि के विद्वान हैं साथ ही आपको अंग्रेजी का भी ज्ञान है । आचार्य श्री को जैन धर्म प्रभावना की एक अद्वितीय लगन है। अब तक आप कितने ही ग्रन्थों का पिनुवाद तथा कितनी ही मूल पुस्तकें जैन धर्म पर लिख चुके हैं। आपके द्वारा अनुवादित रत्नाकर शतक, भरतेश वैभव, अपराजितेश्वर शतक अधिक प्रसिद्ध हैं। ! पूज्य प्राचार्य श्री माधनन्दी विरचित प्रस्तुत कानड़ी ग्रन्थ 'शास्त्रसार समुच्चय' एक अद्वितीय जैन धर्म ग्रन्थ है जिसमें चारों अनुयोगों का बड़ा ही सुन्दर वर्णन है । प्राचार्य श्री द्वारा सर्व प्रथम इस ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद किया गया जो आपके सन्मुख है। प्राचार्य श्री ने इस ग्रन्थ के अनुवाद में हो इस चातुस का अधिक समय व्यतीत किया है। जैन साहित्य के प्रति आपकी यह अपूर्व सेवा है जिसके लिए जैन समाज प्रापका सदैव ऋणी रहेगा। | इस ग्रन्थ के अतिरिक्त इस वर्ष चातुर्मास में प्राचार्य श्री ने अपना बाको । समय श्री भ्रूवलय महान् ग्रन्थ के हिन्दी अनुवाद में व्यतीत किया है। ग्रन्थराज । श्री भूवलय संसार का एक निराला ग्रन्थ है जो प्राचार्य श्री कुमुदेन्दु जी ने अंकों में निर्माण किया है । भूवलय ग्रन्थ का प्रकाशन एक ऐसा कार्य होगा जो | संसार में जैन धर्म की प्राचीनता तथा महत्व को दीपक के समान प्रकाश में लाएगा । इस ग्रन्थ के प्रकाशन का कार्य भूवलय ग्रन्थ प्रकाशन समिति ने अपने ऊपर लिया है। उसके संस्थापक भी प्राचार्य थी ही हैं। उस ग्रन्थ का मंगलप्रामृत शीध्र प्रकाशित होगा। आचार्य श्री जगत को एक महान विभूति हैं । भापके देहली चातु। मसि से जैन जनता ने नहीं वरंच अजैन जनता ने भी बहुत धर्म लाभ उठाया
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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