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को, सातवें स्थान का कलह तथा राजकीय विपत्ति को, आठवें स्थान का राहु केतु अपमृत्यु, भय तथा ज्वरादि पीड़ा को, नौवें स्थान का पाप कार्य में मन की इच्छा को, दशवें स्थान का वैर वृद्धि, चिन्ता वृद्धि को, ग्यारहवें स्थान का अनेक प्रकार सुख तथा सन्मान की वृद्धि को और बारहवें स्थान के राहु केतु अनेक प्रकार के शोक चिन्ता, शव वृद्धि तथा धननाश को सूचित करते हैं।
. गोचर फल का विशेष विचाररवि, मंगल, बुध और शुक्र इन चार प्रहाँ बारा मास में होने वाला गोचर फल जाना जाता है । चन्द्र से दैनिक फल, पुरु, शानि केस से वार्षिक फल जान लेना चाहिये, परन्तु रूढ़ि में गुरु और शनि छारा गोचर फल जानने की प्रथा प्रचलित है । जिस समय का शुभ अशुभ फल जानना हो उस समय शुभ अशुभ ग्रहों को अच्छी तरह देख लेना चाहिए । यदि उस समय शुभ ग्रह अधिक हों तो उस समय सुख प्राप्त होगा, यदि अशुभ ग्रह अधिक हो तो दुःख मिलेगा, यदि शुभ अशुभ ग्रह समान हों तो सुख दुख समान होगा।
रवि मंगल राशि के आदि में, चन्द्र और बुध सदा, गुरु और शुक्र राशि के मध्य में तथा शनि राहु और केतु राशि के अंत में अपना फल देते हैं।
प्रत्येक राशि में आने से सूर्य ५ दिन पहले, चन्द्रमा ३ घड़ी पहले, मंगल ८ दिन पहले, बुध शुक्र ७ दिन पहले, गुरु दो मास पहले, शनि ६ मास पहले और राहु केतु ४ मास पहले अपनी-अपनी दृष्टि की सूचना कर देते है।
राशियों के घात मास मेष राशि वाले को कार्तिक मास तथा प्रतिपदा, छठ, एकादशी तिथि, रविवार, मघा नक्षत्र, विष्कम्भ योग, बवकरण, पहला पहर घातक है। मेष राशि वाली स्त्रियों तथा पुरुषों के लिए पहला चन्द्र घातक है 1
वृष राशि वाले को मगसिर भास, पंचमी, दशमी, पूर्णिमा, शनिवार . हस्त नक्षत्र, शुक्ल योग, शकुनि करण, चौथा पहर घातक है। पाचवां चन्द्र पुरुषों के लिए तथा स्त्रियों के लिए पाठवां चन्द्र घातक है ।
मिथुन राशि वाले को-आपाढ़ मास, द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी तिथि सोमबार, स्वाति नक्षत्र, परिष योग, कौलव करण, तीसरा पहर, नौवां चन्द्र तथा स्त्रियों के लिए सातवां चन्द्र घातक है ।
कर्क राशि वाले के लिए पौष मास, द्वितीया सप्तमी द्वादशी तिथि, बुधवार अनुराधा नक्षत्र, व्याघात योग, नागवान करण', पहला पहर, दूसरा चन्द्र तथा स्त्रियों के लिए नौवां चन्द्र घातक होता है।