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________________ ( शान्तिसुधासिन्धु ) करनेवाला समझता है । यद्यपि वह बुद्धिमान आत्मा उस पुण्यको इंद्रिय और मनको तृप्त करनेवाला समझता है. तथापि उसको यतियोंके द्वारा निंदनीय भी समझता है। इसलिए वह शीघ्र ही उस पुण्यका त्याग कर देता है, और अत्यंत शुद्ध निराकार, निरामय, निद्वंद्व ऐसे अपने चिदानन्द-पदको अनुक्रमसे चिन्तबन करता हुआ मोक्ष प्राप्त कर लेता है। भावार्थ- अनादिकालसे यह आत्मा कर्मोके बंधनमे बंधा हुआ है, जब कभी काललब्धिके निमित्तसे इस जीवके कर्मोका उदय अत्यंत मंद होता है, और दर्शनमोहनीय कर्मका. तथा अनंतानुबंधी क्रोध, मान, माया लोभका उपशम, क्षयोपशम, वा क्षय हो जाता है, तब इस जीवको सम्यग्दर्शन प्रगट होता है, सम्यग्दर्शनके प्रगट होनेसे इस जीवको अपने आत्माका स्वरूप प्रगट होता है। आत्माका यथार्थ स्वरूप प्रगट होनेसे यह जीव आत्माके शुद्ध स्वरूपको और उसके रत्नत्रयादिक गुणोंको अपना समझने लगता है, और रागादिक परिणामोंको वा शरीरादिकको अपने आत्मासे सर्वथा भिन्न समझने लगता है। तदनन्तर उस जीवके ज्यों ज्यों चारित्रमोहनीय कर्मका उपशम का क्षयोपशम होता जाता है त्यों त्यों यह जीव पाप कार्योंका त्याग करता जाता है और जिनपूजन पात्रदान आदि पुण्य कार्यों में अपनी प्रवृत्ति करने लगता है । उस समय वह पापोंको विष्ठाके समान अत्यन्त निद्म और सर्वथा त्याग करने योग्य समझता है । और पुण्य कार्योको उपादेय समझता है, जब तक उसके चारित्रमोहनीयका मन्द उदय बना रहता है, तब तक वह पुण्यका त्याग नहीं कर सकता, परन्तु जब उसके चारित्रमोहनीय कर्मका क्षयोपशम वा क्षय हो जाता है, तब वही आत्मा पुण्य' कार्यको भी हेय समझने लगता है, फिर वह समझने लगता है, कि जिस प्रकार पापकर्म आत्माको बन्धनमें डालनेवाला हैं, उसी प्रकार पुण्यकर्म भी आत्माको बन्धन में डालनेवाले हैं। इन पाप और पुण्यमें केवल लोहे और सोनेके समान अन्तर है। पापका उदय लोहेकी बेडीक समान आत्माको निन्दनीय बनाकर बन्धनमें डालता है । और पुण्यका उदय सोनेकी बेडीके समान आदर सत्कारके साथ बन्धनमें डालता है। आत्माको बन्धनमें डालनेवाले दोनों हैं। इस प्रकार समझकर वह
SR No.090414
Book TitleShantisudha Sindhu
Original Sutra AuthorKunthusagar Maharaj
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages365
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size8 MB
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