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________________ ( शान्तिसुधा सिन्धु ) लिये सुख देनेवाले होते हैं, और इसी कारण तीनों लोक उनकी पूजा करता है । रागद्वेषको धारण करनेवाला साधु स्वर्ग और मोक्षके मार्ग में सदा अरुचि दिखलाता रहता है, और अस्त्र शस्त्र, वस्त्र परिग्रह आदि अनेक प्रकारके दुःख देनेवाले सामानको अपने पास रखता है. इसीलिए सरागी साधुओं की कोई भी पूजा नहीं करता है । ६१ भावार्थ- पूजा वा वंदना पूज्य पुरुषोंकी की जाती है तथा पूज्यता आत्माकी शुद्धता से प्राप्त होती है, इस आत्मामें जो अशुद्धता है वह कर्मो निमित्तसे होती है तथा कर्मोंका बंधन रागद्वेषसे होता है। इस प्रकार यह सिद्ध हो जाता है कि इस आत्माकी अशुद्धता रागद्वेषसे ही होती है जिसके रागद्वेष है उसका आत्मा अशुद्ध है और जिसके रागद्वेष नहीं हैं अर्थात् जो वीतराग है उसका आत्मा शुद्ध है, रागद्वेष के कारण ही यह आत्मा परिग्रहको धारण करता है, रागद्वेषके कारण ही मोह वा ममत्व करता है, और रागद्वेषके कारण ही दुःखी होता है। ऐसे रागद्वेषको धारण करनेवाला साधु कभी मोक्षमार्ग में नहीं लग सकता । रागद्वेषके कारण वह निवृत्तिमार्ग में नहीं लग सकता । इसलिये वह मोक्षमार्ग से हटता ही रहता है, और इस प्रकार वह अपने आत्मकल्याणसे बहुत दूर पड जाता. है, ऐसा साधु साधारण हीन दीन गृहस्थों के समान झोंपडी बनाकर रहता है, बर्तन भी रखता है। और अस्त्र शस्त्र, वा वस्त्र भी रखता है । फिर भला पूज्य कैसे हो सकता है ? वह तो रातदिन पेटके धंदे ही लगा रहता है, परंतु जो साधु रागद्वेष से सर्वथा रहित होते हैं, वे बीतराग होने के कारण न तो किसी प्रकारका परिग्रह रखते हैं, न झोंपडी बनाते हैं, औरन पेटके धंदे में लगते हैं, वे तो ध्यान, अध्ययन और तपश्चरणमें ही लगे रहते हैं । ध्यान और तपश्चरणके द्वारा वे अपने कर्मोंका नाश करते जाते हैं, तथा मन-वचन-कायको वश में रखनेके कारण कर्मबन्धनको भी रोकते रहते हैं । इसप्रकार वे साधु अपने आत्माको अत्यंत शुद्ध बनाकर मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं । ऐसे ही साधु इस संसार में तीनों लोकोंके द्वारा पूज्य और वंदना करने योग्य समझे जाते है । प्रश्न - किमस्ति सद्यतित्वं च वद् केन हेतुना !
SR No.090414
Book TitleShantisudha Sindhu
Original Sutra AuthorKunthusagar Maharaj
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages365
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size8 MB
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