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________________ ( शान्ति सुधासिन्धु ) यहांपर इतनी बात और समझलेना चाहिए कि जिसप्रकार सक्रिय होनेके कारण सशरीर आत्मा कर्ता माना जाता है, उसीप्रकार सक्रिय होने के कारण पुद्गलभी सृष्टिका कर्ता माना जाता है। वायु पुद्गल हैं, और अपनेआप बहती है. बिजली पुदगल हूँ बहुभी अपनेअप जलती है, शब्द पुद्गल है यहभी अपने आप चलता है। इससे सिद्ध होता है कि पुद्गलमें भी क्रिया है, तथा जहां क्रिया होती है वहीं कर्तृत्व अवश्य होता है । यही कारण है कि बिजली बहुत कार्य करती है, अग्नि और पानीसे उत्पन्न हुई भाफ बहुत से कार्य करती हैं, और वायुभी बहुत से कार्य करती है। सुबर्ण के खान की मिट्टी अपनीही मट्टीको सोनेका रूप दे देती है, चांदी खानकी मिट्टी अपनेही परमाणुओंको चांदी बना देती है। इसीप्रकार पर्वतकी मिट्टी वा पत्यरकी खानोंकी मिट्टी पत्थर बन जाती है । इसलिए उन सबका कर्तृत्व उस-उस स्थानकी मिट्टी से सिद्ध होता है। पानी, मिट्टी, सर्दी-गर्मी सब पुद्गल हैं, परंतु उनसे घास वा अनेक प्रकारके कीडे - 1 २८५ कोडे उत्पन्न हो जाते हैं। इसलिए उनका कर्तुत्व पानी, मिट्टी, सर्दीगर्मीकोही माना जाता है, इसप्रकार विचार करने से पुद्गलमें भी क्रिया सिद्ध होती है, इसलिए उस पुद्गलमें कथंचित् सृष्टिकर्तृत्व मान जाता है । जिसप्रकार यह सशरीर आत्मा क्रियाविशिष्ट होनेकेकारण कर्ता कहलाता है, और इसीलिए ब्रह्मा कहलाता है, उसीप्रकार यही सशरीर आत्मा उस सृष्टिका नाश करनेवाला महादेव कहलाता है । क्योंकि जिन शुभ वा अशुभ कर्मो को यह करता है, उन्हीं कर्मोका वह फल भोगकर नष्ट करता है । अथवा मोक्ष प्राप्त करनेके लिए उद्यम करता हुआ यह आत्मा अपने ध्यान तपश्चरणके द्वारा उन समस्त कर्मोका नाश कर देता है, इसलिए वही आत्मा अपनी कर्मरुपी सृष्टिका नाश करनेके कारण महादेव कहलाता है। इसके सिवाय जिस मकानको बनाता है, उसको गिराता भी हैं। जिस खेतीको बोता है उसको काटताभी है। जिस द्रव्यको कमाता है उसको खर्चभी करता है, इन्ही सब कार - णोंसे वह सशरीर आत्मा महादेव कहलाता है । इसप्रकार यही आत्मा ब्रह्मा सिद्ध होता है, यही आत्मा महादेव सिद्ध होता है, और यही आत्मा विष्णु सिद्ध होता है, क्योंकी जिसप्रकार विष्णु इस सृष्टिको सुख देनेवाला माना जाता है, उसीप्रकार यह आत्माभी अपने आत्माके सुखके लिए
SR No.090414
Book TitleShantisudha Sindhu
Original Sutra AuthorKunthusagar Maharaj
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages365
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size8 MB
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