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________________ ( शान्ति सुधासिन्धु ) पौद्गलिक पदार्थ है, और उष्णता उसका गुण है। दोनोंकी अलग-अलग संज्ञा बतलाकर समझाते हैं। अग्निकी संख्या भी भिन्न-भिन्न बतलाने हैं । यह बलके लकडीकी अग्नि है, यह आपके लकडीकी अग्नि है, यह कंडोंकी अग्नि है और यह फूंसकी अग्नि है । इस प्रकार अग्निमें भी अनेक भेदोंकी कल्पना करते हैं । यद्यपि सत्र अग्नि एक समान है, तथापि उनमें उष्णताकं मंदस, भद हो जाता है, बबुलकी लकड़ी में अग्निकी उष्णता ती होती है, आमकी लकडीमें अग्निको उष्णता उससे कम होती है. कंडेकी अग्नि उससे कम होती है और फूंकी अग्नि में उससे कम होती है। इस प्रकार संख्याके भेदसे, भेद सिद्ध होता है। इसी प्रकार कंडेकी अग्निसे जो काम होता है, वह फूसकी अग्नि नहीं हो सकता है, तथा बबूल वा आमकी लकडीसे भी नहीं हो सकता और जो काम बबुल वा आमकी लकड़ी से होता है वह कंडा वा फूंसकी अग्निमे नही हो सकता । इस प्रकार प्रयोजनके भेदमे भी इनमें भेद सिद्ध हो जाता है । जिस प्रकार यह संज्ञा, संख्या, प्रयोजन आदि अग्निमें भेद सिद्ध होता है, उसी प्रकार आत्मामें भी संज्ञा, संख्या, प्रयोजन आदिके भेदसे, भेद सिद्ध हो जाता है । यद्यपि ज्ञान और आत्मा दोनों अभिन्न हैं, तथापि आत्मा गुणी है । ज्ञान उसका गुण है । गुणी होने से आत्मा व्यापक है, और ज्ञान गुण होनेके कारण व्याप्य है । आत्मामें जिस प्रकार ज्ञग्न गुण है, उसी प्रकार दर्शन, वीर्य, सुख, आदि अनेक गुण आत्मामें रहते हैं । इसीलिए आत्मा व्यापक कहलाता है, तथा उसके गुण व्याप्य कहलाते हैं । इस प्रकार संज्ञाके भेदसे अखंड आत्मामें भी भेद सिद्ध किया जाता है । अथवा यद्यपि ज्ञान गुण एक ही अखंड गण है, तथापि मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान केवलज्ञान आदिके भेदसे ज्ञानके भी बहुतसे भेद सिद्ध हो जाते हैं । यह भी संज्ञा द मंद सिद्ध हो जाता है । यद्यपि आत्मा एक अखंड है, तथापि कभी बालक होता है, कभी युवा होता है, कभी वृद्ध होता है, कभी मुनि अवस्था धारण करता है, कभी पशु होता है, कभी नरक में जाता है. कभी देव होता है, इस प्रकार अनेक प्रकारके शरीर धारण करता रहता है । उन शरीरोंके भेदसे उसके ज्ञानगुण में भी भेद सिद्ध होता है. tayar में अवधिज्ञान वा मिथ्याअवधिज्ञान अवश्य होता है. परंतु मनुष्य वा पशु शरीरमें यह अवधिज्ञान वा मिव्यवविज्ञान हो भो ܢܘ
SR No.090414
Book TitleShantisudha Sindhu
Original Sutra AuthorKunthusagar Maharaj
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages365
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size8 MB
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