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सम्यग्ज्ञातचन्द्रिका भाषाका ]
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प्ररूपण करौं ह्रौं ; असा अर्थ जानना । सो कैसा है ? शुद्धं कहिये ज्ञानावरणादि आठ प्रकार द्रव्य-भावस्वरूप कर्म करि रहित है । बहुरि कैसा है ? जिनेंद्रबरनेमिचंद्र - अनेक संसार वन संबंधी विषम कष्ट देने कौं कारण कर्म वैरी, वाहि जीतें, सो जिन । बहुरि इंदन कहिये परम ईश्वर ताका योग, ताकरि राजते कहिए शोर्भ, सो इंद्र । बहुरि यथार्थ पदार्थनि कौं नयति कहिये जाने, सो नेमि कहिये ज्ञान, वर कहिए उत्कृष्ट अनंतरूप जाके पाइए, सो वरनेमि । बहुरि चंद्रयति कहिए आह्लादरूप होइ परम सुखको अनुभवे सो चंद्र । इहां सर्वत्र जाति अपेक्षा एकवचन जानना । सो जो जिन, सोई इंद्र, सोई वर नेमि, सोई चंद्र, जैसा जितेंद्रबरनेमिचंद्र सिद्ध है । बहु कैसा है ? कलंक कहिए नाही विद्यमान है कसं कहिए अन्यमतीनि करि कल्पना कीय दोष जाकै ऐसा है । बहुरि कैसा है ? गुणरत्नभूषणोदयं गुण कहिए परमावगाढ सम्यक्त्वादि आठ गुण, तेई भए रत्न श्राभूषण, तिनका है उदय कहिए अनुभवन वा उत्कृष्ट प्राप्ति जार्के जैसा है ।
Marate हैं हैं - प्ररणम्य नमस्कार करि के ? किसहि ? के कहिए. आत्मद्रव्य, ताहि नमस्कार करि जीव का प्ररूपण करों हौं । कैसा है ? अकलं कहिये नाही विद्यमान हैं कल कहिये शरीर जाऊं ऐसा है । बहुरि कैसा है ? सिद्धं कहिए fter अनादि-fter है । बहुरि कैसा है ? शुद्धं कहिये शुद्धनिश्चयनय के गोचर है ।
बहुरि कैसा है ? जिनेंद्र वरनेमिचंद्र - जिन में असंयत सम्यग्दृष्टी आदि, तिनका इंद्र कहिये स्वामी हैं, परम आराधने योग्य है । बहुरि पर कहिये समस्त पदार्थनि विष सारभूत है । बहुरि नेमिचंद्र कहिये ज्ञान- सुखस्वभाव को धरे हैं । सो जितेंद्र, सोई वर, सोई नेमिचंद्र असा जितेंद्र वरनेमिचंद्र आत्मा है ।
बहुरि कैसा है ? गुणरत्नभूषणोदयं गुणानां कहिये समस्त गुणनि विषै रत्न कहिये रत्नवत् पूज्य प्रधान भैंसा जो सम्यक्त्वगुण, ताकी है उदय कहिये उत्पत्ति जाके वा जाते आत्मानुभव तें सम्यक्त्व हो है, ताते श्रात्मा गुणरत्नभूषणोदय है ।
tear or है हैं - प्रणम्य नमस्कार करि के ? किसहि ? सिद्धं कहिये सिद्ध परमेष्ठीन के समूह कौं, सो कैसा है ? शुद्धं कहिये दग्ध किए हैं ग्राठ कर्ममूल जिहि । बहुरि किसहि ? जितेंद्रबरनेमिचंद्रं जिनेंद्र कहिये अर्हत् परमेष्ठीनि का समूह सो बरा: कहिये उत्कृष्ट जीव गणधर चक्रवर्ती, इंद्र, धरणेंद्रादिक भव्यप्रधान ई भए नेमि कहिये नक्षत्र, तिनिविषै चंद्र कहिये चंद्रमावत् प्रधान, औसा जितेंद्र, सोई