________________
for i
[ ve
चौदह भए । तहां जोड विषे दश स्थानीय चौका लिख्या थर रह्या एका, ताक र तीन भया, सो जोड विषं शत स्थानीय लिख्या । जैसे से ही अन्यत्र जानना ।
शत स्थानीय दूवा करें जोड़ें, जोडें तीन से चालीस भये ।
बहुरि व्यवकलन विषै मूलराशि के एक स्थानीय श्रादि संकनि विषै ऋण राशि के एक स्थानीय आदि अंकनि को यथाक्रम घटाइए । जो मूलराशि के एक स्थानीय आदि अंक तैं ऋणराशि के एक स्थानीय आदि के अधिक प्रमाण लीए होइ तो धनराशि दश स्थानीय आदि अंक विषै एक घटाइ धनराशि के एक स्थानीय आदि विषै दश जोडि, तामें ऋणराशि का अंक घटावना । सो प्रवृत्ति विषे जैसे बाकी काढने का विधान है, तैसे ही यह जानना । प्रेसें करतें जो हो, सो अवशेष प्रमाण जानना । इहां उदाहरण जैसें छह से पिचहत्तरि मूलराशि विषे बारावे ( ६७५-२२ ) ऋण घटावना होइ, तहां एक स्थानीय पांच में दूवा घटाए तीन रहे श्रर दश स्थानीय सात विषे नव घटे नाहीं तातें शतस्थानीय छक्का मैं एक घटाई ताके दश सात विषे जोड़े सतरह भए, तामें नौ घटाइ प्राठ रहे शत स्थानीय छक्का एक घटायें पांच रहे, तामैं ऋण का अंक कोऊ घटावने को हैं नाहीं तातें, पांच ही रहे । * अवशेष पांच से तिवासी प्रमाण श्राया । भैंसें ही अन्यत्र जानना ।
-
बहुरि गुणकार विषै गुण्य के अंत अंक अंक को क्रम ते गुणकार के अंकनि करि गुणि गुणित राशि का प्रमाण आवै ।
तैं लगाय आदि अंक पर्यंत एक-एक यथास्थान लिखिए वा जोडिए, तब
हां उदाहरण - जैसे गुभ्य दोष से छप्पन र गुणकार सोलह (२५६४१६) तहां गुण्य का अंत अंक दूबा की सोलह करि गुणना । तहां छक्का तौ दूवा ऊपरि
१६
अर एका ताके पीछे २५६ से स्थापन करि एक सो तो एक के नीचे लिखना । पर छह करि दूवा वा ती गुण्य की जायगा लिखना एका पहिले असा भया [ ३२ ५६ ] । बहुरि से ही गुण्य का
१६
करि दूवा को गुरणे, दोय पाये,
की गुण बारह पाए, ति विष दोय लिख्या या तामै जोडना तब उपांत अंक पांचा; ताको सोलह
करि गुणना तहां से २२, १६ स्थापना करि एका करि पांच को गुरौं, पांच भये, सो तो एका के नीचे दूवा, तामें जोडिए पर छक्का करि पांचा कौ गुरौं तीस भए, तहां बिंदी पांचा की जायगां मांडि तीन पीछले श्रकनि विषे जोडिए से कीए