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गोम्मटसार जीवकाश गाथा ३१
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उत्कृष्ट संख्यात करि गुणिये अर उत्कृष्ट संख्यात का भाग दीजिये, तितने मात्र भया । बहरि प्रागै पूर्वोक्त अनुक्रम लीये अनंत असंख्यात भागवृद्धि सहित संख्यात भागवृद्धि
के स्थान उत्कृष्ट संख्यात मात्र होइ । तहां प्रक्षेपक संबंधी वृद्धि का प्रमाण जोडे, .. लब्ध्यक्षर जो सर्व तैं जघन्य पर्याय नामा ज्ञान, सो साधिक द्विगुणां हो है । कैसं ? सो कहिये है -
पूर्ववृद्धि भयें जो साधिक जघन्यज्ञान भया, सो मूल स्थाप्या ! बहुरि इहां संख्यात भागवृद्धि की विवक्षा है । ताते याको उत्कृष्ट संख्यात का भाग दीयें, प्रक्षेपक हो है । बहुरि मच्छमात्र प्रक्षेपक वृद्धि होइ, सो इहाँ उत्कृष्ट संख्यात. मात्र संख्यातवृद्धि के स्थान भये हैं। तातै उत्कृष्ट संख्यातमात्र प्रक्षेपक बधावने । तहाँ मूल साधिक जघन्य ज्ञान तो जुदा राखना । पर जिस माफिEEL मार हौं डलष्ट संख्यात का भाग दीयें, प्रक्षेपक हो है। पर इहां उत्कृष्ट संख्यातमात्र प्रक्षेपक है । ताते उत्कृष्ट संख्यात ही का गुणकार भया, सो मुणकार भागहार का अपवर्तन कीये, साधिक जघन्य रह्या । याकौं जुदा राख्या हूबा साधिक जघन्य विर्षे जोडें, जघन्यज्ञान साधिक दुणां हो है । बहुरि 'तत्ति चउत्थं' कहिये पूर्वोक्त संख्यात भागवृद्धि संयुक्त उत्कृष्ट संख्यातमात्र स्थान, तिनिकौं च्यारि का भाग देइ, तिन विर्षे तीन भाग प्रमाण स्थान भये । तहां प्रक्षेपक अर प्रक्षेपक - प्रक्षेपक, इनि दोऊ वृद्धिनि को साधिक जधन्य विर्षे जोड, लब्ध्यक्षर ज्ञान साधिक दूणां हो है । कैसे सो कहिये है – इहाँ पूर्ववृद्धि भये जो साधिक जघन्य ज्ञान भया, ताकौं दोय बार उत्कृष्ट संख्यात का भाग दियें, प्रक्षेपक - प्रक्षेपक हो है । सो एक धाटि गच्छ का एक बार संकलन धनमात्र प्रक्षेपक - प्रक्षेपकनि की वृद्धि इहां करनी । तहां पूर्वोक्त केशववणी करि कह्या करण सूत्र के अनुसार तिस प्रक्षेपक • प्रक्षेपक की एक धादि उत्कृष्ट संख्यात का तीन चौथा भाग करि अर उत्कृष्ट संख्यात का तीन चौथा भाग करि गणन करना । पर दोय का एक का भाग देना । साधिक जघन्य ज्ञान की सहनानी जैसी है । ज असे कीएं साधिक जघन्य कौं एक शादि, तीन गणां उत्कृष्ट संख्यात का पर तीन गुणा उत्कृष्ट संख्यात का गुणकार भया । पर दोय बार उत्कृष्ट संख्यातका अर च्यारि, दोय, च्यारि, एक का भागहार भया । तहां एक घाटि संबंधी ऋणराशि साधिक जघन्य कौं तीन का गुणकार पर उत्कृष्ट संख्याल का अर बत्तीस का भागहार कीएं हो है। ताको जुदा राखि, अवशेष का अपवर्तन कोएं, साधिक जघन्य कौं नब का गुणकार, बत्तीस का भागहार मात्र प्रमाण भया । इहाँ दोय बार उत्कृष्ट संख्यात का गुणकार
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