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! गोम्मटसार जीवकरण्ड गाथा २६५
हैं । ले धूलि रेखा समान शक्तिस्थान संबंधी सर्व स्थाननि के प्रमाण को योग्य प्रसं ख्यात लोक का भाग दीएं, एकभाग बिना बहुभाग मात्र हैं । बहुरि तिनितें असंख्यात गुणे घाट, तहां ही कृष्ण रहित पंच लेश्या के स्थान प्रसंख्यात लोक प्रमाण हैं । तेति श्रवशेष एक भाग कौं- योग्य असंख्यात लोक का भाग दीएं बहुभाग मात्र हैं । बहुरि तिनितें असंख्यात गुणे घाटि तहां ही कृष्ण नील रहित च्यारि लेश्या के स्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं । ते तिस अवशेष एकभाग को योध्य असंख्य लोक का भाग दीएं बहुभाग मात्र हैं । बहुरि तिनितें असंख्यात गुणे घाट, तहां ही तीन शुभ लेश्या के स्थान असंख्यात लोक मात्र हैं । ते अवशेष एक भाग
योग्य प्रसंख्यात लोक का भाग दीएं बहुभाग मात्र हैं । बहुरि तिनितें असंख्यात गुणे वाटि, पीत रहित दोय शुभ लेश्या के स्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं । ते तिस एक भाग को योग्य प्रसंख्यात लोक का भाग दीएं, बहुभाग मात्र हैं । बहुरि तिनते असंख्यात गुरणे घाटि तहां ही केवल शुक्ल लेश्या के स्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं । ते तिस अवशेष: एकभाग मात्र जानने । इहां बहुभाग रूप प्रसंख्यात लोक मात्र गुणकार घट्या सातै श्रसंख्यात गुणा घाटि कला है । बहुरि तिनि श्रसंख्यात गुणे घाटि जल रेखा समान शक्ति विषे प्राप्त सर्व शुक्ल लेश्या के स्थान संख्यात लोक प्रमाण हैं । ते जल रेखा शक्ति विषै प्राप्त स्थाननि का प्रमाणमात्र है । इहां धूलि रेखा समान शक्ति के सर्व स्थाननि विषै जे केवल शुक्ल लेश्या के स्थान कहे, तहां भागहार अधिक हैं। परन्तु गुणकारभूत असंख्यात लोक का तहां बहुभाग है । इहां एक भाग है । तातें असंख्यात गुणा घाटि कला है । श्र आयु के बंध-प्रबन्ध के बीस स्थान, तिनि विषै उदय स्थाननि का प्रमाण कहिए है
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प्रथम शिला भेद समान उत्कृष्ट शक्ति विषै प्राप्त कृष्ण लेश्या के स्थान, fafe विषे कृष्ण लेश्या का उत्कृष्ट स्थान तै लगाइ, असंख्यात लोक प्रमाण श्रायु के प्रबन्ध स्थान हैं । ते उत्कृष्ट शक्ति विष प्राप्त सर्व स्थाननि का प्रसारण करें असंख्यात लोक का भाग दीएं, बहुभाग मात्र हैं । बहुरि तिनितें असंख्यात गुणे घाट, वहां ही नरकायु बन्धने कौं कारण असंख्यात लोक प्रमारण स्थान हैं । ते तिस श्रवशेष एक भाग मात्र हैं । पूर्वे बहुभाग इहां एक भाग तातें असंख्यातगुणा घाटि कला है | बहुरि विनितं असंख्यात गुणे घाटि पृथ्वी भेद समान अनुत्कृष्ट शक्ति विषे प्राप्त कृष्ण hear के पूर्वोक्त सर्व स्थान, ते नरकायु बन्ध कों कारण असंख्यात लोक
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