________________
-
-.-.
:
নামজঃ সাখাীক ।
[ ४०३ .. तहि सव्वे सुद्धसला, सोवक्कमकालदो दु संखगुणा । ... तत्तो संखगुणूणा, अपुण्णकालम्हि सुद्धसला ॥२६७॥ .
तस्मिन् सर्वाः शुद्धशलाकाः, सोपकमकालतस्तु संख्यगुणाः । ....
ततः संख्यगुणोना, अपूर्णकाले शुद्धशलाकाः ॥२६७॥ ....
टीका - तीहि दश हज़ार वर्ष प्रमाण जघन्य स्थिति विर्षे सर्व पर्याप्त वा अपर्याप्त काल संबंधी अनुपक्रम काल रहित कौं केवल शुद्ध उपक्रम काल की शलाका कहिए । जेती बार संभवै तेता प्रमाण, सो उपक्रम काल से संस्थात गुणी है । बहुरि अपर्याप्त काल संबंधी शुद्ध उपक्रम शलाका ताने संख्यात गुणो घाटि हैं, जो जघन्य स्थिति विर्षे शुद्ध उपक्रम शलाका का परिमाण कह्या था, ताके संख्यातवें भाग अपर्याप्त काल संबंधी शुद्ध उपक्रम शलाका जानना । सोई दिखाइए है
सोपक्रम-अनुपक्रम काल दोऊ कालनि को मिलाई हुई एक शलाका होइ, ती दश हजार वर्ष प्रमाण स्थिति की केती शलाका होइ ? प्रेस राशि करिए । तहां सोपक्रम पर अनुपक्रम काल कौं मिलाए, पावली का असंख्यातवां भाग अधिक संख्यात प्रावली प्रमाण तो प्रमाणराशि भया, अर फलराशि एक शलाका, पर इच्छाराशि दश हजार वर्ष, तहां फल करि इच्छाराशि कौं गुरिण, प्रमाण का भामं दोएं, किंचिदून संख्यातगुणा संख्यात प्रमाण मिश्र शलाका हो है । 'जघन्य स्थिति विर्षे एती बार उपक्रम वा अनुपक्रम का काल बर्ते है । बहुरि प्रमाणराशि शलाका एक, फलराशि उपक्रम काल प्रावली का असंख्यातवां भाग, इच्छाराशि मिश्रशलाका किंचिदून संख्यात गुणा संख्यात कीएं, तीहि जघन्य स्थिति प्रमाण काल विर्षे शुद्ध उपक्रम शलाका का काल का परिमाण किंचिदून संख्यात गुणा संख्यात गुणित आवली का असंख्यातवां भागमात्र हो है । बहुरि प्रमाण जघन्य स्थिति, फैल "शुद्ध उपक्रम शलाका का काल, इच्छा अपर्याप्त कीएं. अपर्याप्त काल संबंधी शुद्ध उपक्रम शलाका · का काल संख्यात गुणा आवली का असंख्यातवां भागमात्र होइ । अथवा अन्य प्रकार कहैं हैं - प्रमाण एक शुद्ध उपक्रम शलाका का काल, फल एक शलाका, इच्छा सर्व शुद्ध उपक्रम काल करिएं पर्याप्त-अपर्याप्त सर्व काल संबंधी शुद्ध उपक्रम शलाका किचिदून संख्यात गुणी संख्यात जाननी । बहुरि प्रमाण एक शलाका, फल शुद्ध उपक्रम शलाका का काल प्रावली का असंख्यातवां भागमात्र, इच्छा सर्व शुद्ध शालाका किंचिदून संख्यात गुणित संख्यात करिएं, लब्धराशि विर्षे सर्व जघन्य स्थिति संबंधी