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[ गोम्मटसार गरेका पाथा २०७-२०८.
सगसग असंखभागो, बादरकायारण होदि परिमाणं । Her सुमपमाणं, पंडिभागो पव्वणिट्ठो ॥ २०७॥
Faraariख्यभागो, बादरकायानां भवति परिमाणम् । शेषाः सूक्ष्मप्रमाणं प्रतिभागः पूर्वनिर्दिष्टः ॥ २०७ ॥
टीका -- पृथिवी, ग्रुप, तेज, वायु, साधारण वनस्पतीकायिकनि का जो. पूर्व परिमाण कह्या, तिस अपने-अपने परिमाण को असंख्यात का भाग देना । तहां एक भाग प्रमाण तौ अपना-अपना बादर कायकनि का प्रमाण है । अवशेष बहुभाग प्रमाण सूक्ष्म कायकनि का प्रमाण है । पृथ्वीकायिक के परिमाण को असंख्यात का भाग दीजिए। तहां एक भाग प्रसारण बादर. पृथ्वीकायकनि का परिमाण है । अवशेष बहुभाग परिमाण सूक्ष्म पृथ्वीकायिकनि का परिमाण है । जैसे ही सब का जानता । इहां भी भागहार का परिमाण पूर्वे कह्या था, असंख्यात लोक प्रमाण सोई है । तात इहां भी अनिकायादिक- विषै पूर्वोक्त प्रकार अधिक अधिकपना जानना ।
सुहमेसु संखभाग, संखा भागा अपुण्णमा इबरा । जसि श्रपुण्णद्वादो, पुण्णद्धाः संखगुणिवकमा ॥२०८॥
सूक्ष्मेषु संख्यभागः, संख्या भागा अपूर्णका इतरे । यस्मादपूर्णाद्वातः पूर्णाद्वा संख्यगुणितमाः ।। २०८ ॥
टोका - पृथ्वी, अप, तेज, वायु, साधारण वनस्पती, इनिका पूर्वे जो सुक्ष्म जीवनि का परिमाण कह्या, तींहि विषै अपने-अपने सूक्ष्म जीवनि का परिमाण कौं संख्यात का भाग दीजिए, तहां एक भाग प्रमाण तो अपर्याप्त हैं । बहुरि अवशेष बहुभाग प्रमाण पर्याप्त हैं। सूक्ष्म जीवनि विषे अपर्याप्त राशि लें पर्याप्त राशि का प्रसारण बहुत जानना । सो कारण कहैं हैं; जातें पर्याप्त अवस्था का काल अंतर्मुहूर्तमात्र है। इस काल तें पर्याप्त अवस्था का काल संख्यातगुणा है, सो दिखाइए है। कोमल पृथ्वीकायिक का उत्कृष्ट आयु बारह हजार वर्ष प्रमाण है । बहुरि कठिन पृथ्वी कायिक का बाईस हजार वर्ष प्रमाण है । जलकायिक का सात हजार वर्ष प्रमाण है। तेजकायिक का तीन दिन प्रमाण है । वातकायिक का तीन हजार वर्षे: | वनस्पती कायिक कर दश हजार वर्ष प्रमारा है ।
प्रमारण