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मध्याज्ञानचन्द्रिका भाषाटोका ]
टीका - इहां अक्षर संज्ञा करि वामभाग से अनुक्रम करि अंक कहैं हैं । सो प्रक्षर संज्ञा करि अंक कहने का सूत्र उक्त च कहिए है-पार्या
कटपयपुरस्थवर्ण वनक्षपंचाष्टकल्पितः क्रमशः ।
खरजनशून्यं संख्या मात्रौपरिमाक्षरं त्याज्यं ॥ याका अर्थ - ककार को आदि देकरि नव अक्षर, हिनिकरि अनुक्रम ते एक, दोय, तीन इत्यादिक अंक जानने । जैसे ककार लिख्या होइ, तहां एका जानना, खकार होइ तहां दुवा जानना । गकार लिख्या होइ तहां तीया जानना । जैसे ही झकार पर्यंत नव ताई अंक जानने । क ख ग घ ङ च छ ज झ । बहुरि जैसे ही टकार
ने आदि देकरि । नव अक्षरनि तें एक, दोय, तीन आदि नव . पर्यंत अंक जानने ट ठ ड ढ ण त थ द ध । बहुरि ऐसे ही पकारने आदि देकरि पंच अक्षरनि ते एक, दोय
मादि पंच अंक जानने । प फ ब भ म । बहुरि ऐसे ही यकार ने आदि देकरि अष्ट
अक्षरनि से एक आदि अष्ट पर्यंत अंक जानने । य र ल व श ष स ह । बहुरि जहां
प्रकार आदि स्वर लिखे हों वा नकार वा नकार लिख्या होइ, तहां बिंदी जानना । अहुरि अक्षर के जो मात्रा होइ तथा कोई ऊपरि अक्षर लिख्या होइ, तो उनका कछू प्रयोजन नाही लेना । सो इस सूत्र अपेक्षा इहां अक्षर संज्ञा करि अंक कहे हैं । आमें भी श्रुतज्ञानादि का वर्णन विषं ऐसे ही जानना। सो इहां त कहिए छह, ल कहिए तीन, ली कहिए तीन, न कहिए बिंदी, म कहिए पांच, धु कहिए नव, ग कहिए तीन, इत्यादि अनुक्रम में च्यारि, पांच, तीन, नव, पांच, सात, तीन, तीन, च्यारि, छह, दोय, च्यारि, एक, पांच, दोय, छह, एक, पाठ, दोय, दोय, नत्र, सात ए अंक जानने । 'अंकानां वामतो गतिः' तात ए अंक बाईं तरफ से लिखने । '७, ६२२८१६२, ११४२६४३, ३७५६३५४, ३६५०३३६' सो ए सात कोडाकोडि कोडाकोडि बागवे लाख अठाईस हजार एक सौ बासठि कोडा कोडि कोडि इकावन लाख नियालीस हजार छ सौ तियालीस कोडाकोडि संतीस लाख गुणसठि हजार तीन सौ चौबन कोडि गुणतालीस लाख पचास हजार तीन सौ छत्तीस पर्याप्त मनुष्य जानने । इनिके अंक दाहिणी तरफ सौं अक्षर संज्ञा करि अन्यत्र भी कहे हैं -