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[ गोम्मटसार जीवकाण्ड गाया ६६-६७ भावार्थ - जैसे अन्न का राशि में स्यों च्यारि का भाग देइ, कोई कार्य के अथि एक भाग जुदा काढिए, अवशेष बहुभाग जैसे थे तसे ही राखिए । तैसें इहां मतिज्ञानावरणरूप द्रव्य में स्यों अपकर्षण भागहार का भाग देइ, एकभाग की अन्यरूप परणमादेने के प्रषि जुमा ग्रहण कीया । अवशेष बहुभाग प्रमारण द्रव्य,जैसे पूर्व अपनी स्थिति के समय-समय संबंधी निषेकनि विर्षे तिष्ठं था, तैसे ही रह्या । इहां कर्म परमाणुरूप राशि विर्षे स्थिति घटावने कौं जिस 'भागहार का भाग संभव, ताका नाम अपकर्षण भागहार जानना । सो इस अपकर्षए भागहार का प्रमाण, प्रागे कर्मकांड विर्षे पंच भागहार चूलिका अधिकार विर्षे कहेंगे, तहां जानना । बहुरि विवक्षित भागहार का भाग दीए, तहां एक भाग विना अवशेष सर्व भागनि के समूह का नाम बहुभाग जानना ! सो अपकर्षण भागहार का भाग देई, बहुभाग कौं तैसे ही राखि, एकभाग की जुदा ग्रह्या था, ताकौं कैसे-कैसे परिणमाया सो कहैं हैं ।
तिस एक भाग को पल्य का असंख्यातवा भाग का भाग देई, तहां बहुभाग तौ उपरितन स्थिति विष देना, सो एक जायगा स्थाप, बहुरि अवशेष एक भाग रह्या, ताको बहुरि असंख्यात लोक का भाग देइ, तहां बहुभाग तौ गुणश्रेणी का आयाम विर्षे देना, सो एक जायगा स्थाप अवशेष एक भागहार रह्या, सो उदयावली विर्षे दीजिए है ।
अब उदयावली, गुणश्रेणी, उपरितन स्थिति विर्षे दीया हुवा द्रव्य कैसै परिरणम हैं ? सो कहिए है। तहां उदयावली विर्षे दीया हुअा द्रव्य वर्तमान समय से लगाइ एक प्रावली प्रमाण काल विर्षे पूर्व जे पावली के निषेक थे, तिनकी साथि अपना फल को देइ खिर है ।
तहां प्रावली का काल के प्रथमादि समयनि विर्षे केता-केता द्रव्य उदय प्रावै है ? सो कहैं हैं - एक समय संबंधी जेता द्रव्य का प्रमाण, ताका नाम निषेक जानना । तहां उदयावली विर्षे दीया जो द्रव्य, ताकौं उदयावली काल के समयनि का जो प्रमाण, ताका भाग दीए बीचि के समय संबंधी द्रव्यरूप जो मध्यधन, ताका प्रमाण पावै है । ताकौं एक धाटि प्रावली का प्राधा प्रमाण करि हीन असा जो निर्षकहार कहिए गुरगहानि पायाम का प्रमाण ते दूणा जो दो गणहानि का प्रमाण, ताका भाग दीए चय का प्रमाण हो है । बहुरि इस चय की दोगुणहानि करि गुण, उदयावली का प्रथम समय संबंधी प्रथम निषेक का प्रमाण पाद है । यामैं एक चय घटाए,
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