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Poसबीह पंचासिया
जइ लच्छो होड़ थिर जइ लहइ वि मणुयत्तं जड़ संसमरसि अयाणय जह पविसहि पायालं जह वयणाणं वि अच्छी | जाम ण दूकड़ मरणं जाम ण पडिखलई गई जिगणाह लोयपुज्जिय जीवं खणेण मरणं
जो पढइ सुद्धभावे २६. जं जं दुक्खं जं जं
| जं जं दुलहं जं जं २८. लिहियं गं
उमंते णउतंते णमिऊण अरहचरणं णिच्चं खिज्जइ आऊ
तेधण्णा ते धणिणो
थेरत्तणेण दुक्खं सहियं
| दीवम्हि करे गहिए ३५. | दुक्खेहि मणुयजम्म
||३६. धम्मेण णरो सुहगो