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(समर्पण)
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परम पूज्य मम आध्यात्मिक जीवन प्रणेता, साधनामार्ग के आदर्श, शिखरसन्त, भारत गौरव, अनेकान्त श्रुत परंपरा के संरक्षक, वादीभगज पंचानन, आचार्य भगवन्त श्री सन्मतिसागर जी महाराज
तथा मेरे क्षुल्लक-ऐलक दीक्षागुरु, मेरे परम - मार्गदर्शक, अद्भुत प्रतिभा के धनी,
महाश्रमण, जीवनशिल्प के अतिकुशल शिल्पकार, वात्सल्यनिधि आचार्यकल्प श्री हेमसागर जी महाराज
इन दोनों गुरुओं के पावन कर कमलों में प्रस्तुत कृति सादर समर्पित .